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मयंकाण्ड: ३] मणिप्रभा'व्याख्योपेतः
१अभ्यमियोऽभ्यमित्रीयोऽभ्यमित्रोणोऽभ्यरि व्रजन् । २स्यादुरस्वानुरसिल ३ऊर्जस्व्यूर्जस्वलौ समौ ॥ ४६॥ ४सांयुगीनो रणे साधुजेता जिष्णुश्च जित्वरः। ६जय्यो यः शक्यते जेतुं जेयो जेतव्यमात्रके ॥ ४५७ ॥ प्वैतालिका बोधकरा अर्थिकाः सौखसुप्तिकाः। .
घाण्टिकाश्चाक्रिकाः १०सूतो वन्दी मङ्गलपाठकः ।। ४५८ ।। ११मागधो मगधः १२संशप्तका युद्धाऽनिवर्तिनः। १३नग्नः स्तुतिव्रत
१. 'शत्रुके सामने युद्धार्थ बढ़नेवाले'के ३ नाम हैं-अभ्यमित्रः, अभ्यमित्रीयः, अभ्यमित्रीण: ॥ :
२. 'बलवान् के २ नाम है-उरस्वान् (- स्वत् ) उरपिलः ॥
३. 'अधिक बलवान्के २ नाम हैं-ऊर्जस्वी (- स्विन् ), ऊर्जस्वला (+ऊर्जस्वान् , - स्वत् ) ॥ . . .
४. 'युद्ध में निपुण'का १ नाम है-सांयुगीनः ॥ ५. 'विजयो के ३ नाम हैं-जेता (- तृ), जिष्णुः, जिस्वरः ॥ शेषश्चात्र-जिष्णौ तु विजयी जैत्रः । ६. 'जिसे जीता जा सके उसका १ नाम है-जय्यः ।।
७. 'जीतने योग्य ( जो भले ही जीता न जा सके, किन्तु जिसका जीतना उचित हो उस'का १ नाम है-जेयः ॥ .
८. वैतालिक (राजाओंकी स्तुति करते हुए प्रातःकाल जगानेवाले वन्दिगण) के ४ नाम हैं-वैतालिकाः, बोधकराः, अर्थिकाः, सौखसुप्तिकाः . (+सौखशायनिकाः, सौखशाय्यकाः)॥ . .. ६. 'देवता आदिके आगे घण्टा बजाकर स्तुति करनेवालों के २ नाम है-चाण्टिकाः, चाक्रिकाः ।।
विमर्श-“वैलालिकाः,....'चाक्रिका:" शब्दोंमें बहुत्वकी अपेक्षासे बहुवचनका प्रयोग होनेसे उन शब्दोंका प्रयोग ए० व० में भी होता है।
१०. 'मङ्गल पाठ करनेवाले बन्दी के ३ नाम है-सूतः, क्दी (-न्दिन् ), मङ्गलपाठकः ॥
११. 'प्रशंसाकर याचना करनेवाले के २ नाम है-मागधः, मगधः ।।
१२. 'युद्धसे विमुख होकर नहीं लौटनेवालों के २ नाम हैं-संशप्तकाः, युद्धानिवर्तिनः (- तिन् । यहाँ भी ब० व. बहुत्वापेक्ष ही है, अतः ए० व. भी होता है )॥
१३. 'स्तुतिमात्र करनेवाले'के २ नाम हैं-नग्नः, स्तुतिव्रतः ।।