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मयंकाण्ड: ३ ] . 'मणिप्रभा'व्याख्योपेतः
१८७ -रक्षाग्रकीले त्वण्याणी २नाभिस्तु पिण्डिका । युगन्धरं कूबरं स्याद् ४युगमीशान्तबन्धनम् ॥ ४२० ॥ ५युगकीलकस्तु शम्या ६प्रासङ्गस्तु युगान्तरम । ७अनुकर्षो दार्वधःस्थं धूर्वी यानमुखं च धूः ।। ४२१ ॥ हरथगुप्तिस्तु वरूथो १०रथाङ्गानि त्वपस्कराः । ११शिविका यानयाप्ये१२ऽथ दोला प्रेतादिका भवेत् ॥ ४२२ ॥ १३वैनीतिक परम्परावाहन शिबिकादिकम् ।
१. 'पहिएके नाभिके बीचवाली कील'के २ नाम है-श्रणिः, आणिः (२ पु स्त्री)।
२. 'नाभि' (पहिएके बीचवाले मोटे काष्ठ )-जिसमें अरा ( दण्डे ) लगे रहते हैं-उसके २ नाम हैं-नाभिः, पिण्डिका ॥
३. 'रथ या गाड़ी भादिका बंबा ( जिसमें घोड़े या बैलके कन्धेपर रखे जानेवाले जुवाको बांधा जाता है, रथ, तांगे, एक्के या गाड़ीके उस बांस ) के २ नाम हैं-युगन्धरम् , बरम् ( २ पु न)।
४. 'स्थ या गाड़ी आदिके जुवा'का १ नाम है-युगम् (पु न )॥ ५. 'उक्त जुकेकी कील के २ नाम हैं-युगकीलकः, शम्या ।
६. भये बछवेको हलमें चलना सिखलानेके लिए उसके कन्धेपर रखे बानेवाले काष्ठ के २ नाम है-प्रासङ्गः, युगान्तरम् ॥ - ७. रथ या गाड़ी प्रादिके नीचेवाले काष्ठका १ नाम है-अनुकर्षः ।
८. स्थादिके आगेवाले भाग ( जिसमें घोड़े या बैल आदि बांध बाते. है) उसके ३ नाम है-पूर्वी, यानमुखम्, धूः (=धुर्, स्त्री)॥
६. रथ आदिके रक्षार्थ लोहादिके भावरण के २ नाम है-रथगुप्तिः, वरूपः (पुन.)॥ .
१०. 'रयके पहिया आदि अवयवो'का १ नाम है-अपस्करः ।।
११. पालकी, तामबान, नालकी श्रादि (जिसे मनुष्य कन्धे पर दोवें,. उस के २ नामो-शिविका, याप्ययानम् ॥
१२. 'झूला, हिंडोला'के २ नाम है-दोला, प्रेडोलिका। ('प्रेहोलिका' आदिका नाम 'दोला' है, यहां 'पादि' शब्दसे-'शयानकम्' आदिका संग्रह करना चाहिए ) .
१३. वारी-बारीसे ढोये जानेवाली पालकी प्रादि'का १ नाम है-वैनीतिकम् । पुन)।