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अभिधानचिन्तामणिः १स क्रीडार्थः पुष्परयो रदेवार्थस्तु मरुद्रयः । ३योग्यारथो वैनयिको४ऽध्वरथः पारियानिकः ।। ४१६ ॥ ५कर्णीरथः प्रवहणं डयनं रथगर्भकः। ६अनस्तु शकटोऽथ स्याद् मन्त्री कम्बलिवाह्यकम् ॥ ४१७ ॥ ८अथ काम्बलवाखाद्यास्तैस्तैः परिवृते रथे। हस पाण्डुकम्बली यः स्यात्संवीतः पाण्डुकम्बलैः।। ४१८॥ १०स तु द्वैपो वैयाघ्रश्च यो वृतो द्वीपिचर्मणा। ११रथाङ्ग रथपादोऽरि चक्रं १२धारा पुनः प्रधिः ।।४१६ ॥ नेमि
१. 'क्रीडा (उत्सवादि यात्रा)के लिए बनाये गये रथ'का १ नाम है-पुष्परथः॥
२. 'देवता (देव-प्रतिमा)को विराजमान करनेवाले रथका १ नाम है-मरुद्रयः॥
३. 'शस्त्रकी शिक्षा तथा अभ्यासके लिए बनाये गये स्थ'के २ नाम हैंयोग्यारथः, वैनयिकः॥ .
४. सामान्यतः यात्रा करने (कहीं आने-जाने के लिए बनाये गये रथ के २ नाम हैं-अध्वरथः, पारियानिकः ॥ .
५. 'जिसे कहार कन्धेपर दोर्वे, उस रथ'के अथवा-'स्त्रियोंके चढ़ने के लिए पर्दा लगे हुए रथ के ४ नाम हैं-कर्णीरथः, प्रवहणम्, डयनम् , रथगर्भकः॥
६. 'गाड़ी के २ नाम है-अनः (-नस् , न), शकटः (त्रि)॥ ७. 'छोटी गाड़ी, या-सम्गड़के २ नाम है-गन्त्री, कम्बलिवालकम् ।।
८. 'कम्बल, कपड़ा श्रादिसे ढके या मढ़े हुए रथका क्रमशः १-१ नाम हैं-काम्बलः, वास्त्रः। ('आदि'से दुकूल या दुगूल से ढके या मढ़े हुए रथका दौकूल:' या 'दोगूल:' नाम है)॥
६. 'पाण्डु वर्णके कम्बल से ढके या-मढ़े हुए रथ'का १ नाम है - पाण्डुकम्बली ॥
१०. 'बाघके चमड़ेसे ढके या मढ़े हुए रथ'के २ नाम हैं-द्वैपः, वैयाघ्रः ।।
११. 'पहिया'के ४ नाम है-रथाङ्गम्, रथपादः, अरि (-रिन् , न ), चक्रम् (पु न)॥
१२. 'नेमि (पहिये या टायरके ऊपरी भाग )के ३ नाम है--धारा, प्रषिः (पु स्त्री ), नेमिः (स्त्री)॥