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________________ १८४ अभिधानचिन्तामणिः १प्रत्यासारो व्यूहपाणिः सैन्यपृष्ठे प्रतिग्रहः ॥ ४११ ॥ ३एकेभैकरथास्यश्वाः पत्तिः पञ्चपदातिका।। ४क सेना सेनामुखं गुल्मो वाहिनी पृतना चमूः ॥ ४१२ ॥ अनीकिनी च पत्तेः स्यादिभाद्यैत्रिगुणैः क्रमात् । ५दशानीकिन्योऽक्षौहिणी सेज्जनं तूपरक्षणम् ॥ ४१३ ।। ७वैजयन्ती पुनः केतुः पताका केतनं ध्वजः। टीका देखें ॥ "कौटिल्य अर्थशास्त्रमें भी व्यूहोंके भेदोपभेदका. तथा शत्रुके । किस व्यूहका किस व्यूहसे भेदन करना चाहिए, इसका सविस्तर वर्णन है'। १. 'मोर्चाबन्दीके पार्श्वभाग'के २ नाम हैं--प्रत्यासारः, व्यूहपाणिः ॥ २. सेनाके पीछेवाले भाग'का १ नाम है-प्रतिग्रहः ॥ . . ३. जिसमें १-१ हाथी तथा रथ, ३ घोड़े ( रथके घोड़े के अतिरिक्त), ५ पैदल सैनिक हों, उसे 'पत्तिः ' कहते हैं । ४. पत्ति'के हाथी आदिको त्रिगुणित बढ़ाते जानेसे क्रमशः. सेना, सेनामुखम् , गुल्मः (पुन ), वाहिनी, पृतना, चमू:, अनीकिनी ( ये १-१ नाम सेना-विशेषके होते हैं )। ५. 'दस अनीकिनी-परिमित सेना'की १,अक्षौहिणी सेना होती है ।। विमर्श-'पत्ति से आरम्भकर 'अक्षौहिणी' तक सेना-विशेषके हाथी श्रादिकी संख्याज्ञानार्थ पृष्ठ १८५ के चक्र देखें । विशेषाजज्ञासुओंको 'अमरकोष' की मत्कृत 'अमरचन्द्रिका' नामकी टिप्पणी देखनी चाहिए, जो 'मणिप्रभा' टीका के पृष्ठ २६४ पर लिखी गयी है ॥ . , ६. 'सेनाको बढ़ाने, या रक्षा करने के २ नाम है-सबनम्, उपरक्षाम् ॥ ५. 'झण्डा'के ५ नाम हैं-वैजयन्ती, केतुः (पु), पताका (+ पटाका), केतनम् , ध्वजः (२ पु न)। (किसी-किसीके मतमें 'झण्डे'के दण्ड (बांस आदि )का नाम 'ध्वज' है तथा शेष ४ नाम 'झण्डा' (झण्डेके ‘कपड़े )के हैं )। १. तथा च कौटिल्यार्थशास्त्रे "पक्षावुरस्यं प्रतिग्रह इत्यौशनसो व्यूहविभागः, पक्षौ कक्षावुरस्यं प्रतिग्रह इति बार्हस्पत्यः, प्रपक्षकदोरस्या उभयोर्दण्डभोगमण्डलासंहताः प्रकृतिव्यूहाः। तत्र तिर्यग्वृत्तिर्दण्डः । समस्तानामन्वावृत्तिभॊगः । सरतां सर्वतो वृत्तिमण्डलः । स्थितानां पृथगनीकवृत्तिरसंहतः।” (कौ० अर्थ० १० । ६ । १-७)॥ इतोऽग्रेऽमीषां व्यूहानां भेदाः, कच कस्य व्यूहस्योपयोगितेत्यादिकमध्यायेऽस्मिन् वर्णितमिति तत एव द्रष्टव्यं जिज्ञासुभिः ।।
SR No.002275
Book TitleAbhidhan Chintamani
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, Hargovind Shastri
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year1966
Total Pages566
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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