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मर्त्याः ३.]
'मणिप्रभा' व्याख्योपेतः
१ कक्षापटस्तु कौपीनं २समौ नक्तककर्पटौ । ३ निचोलः प्रच्छदपटो निचुलश्चोत्तरच्छदः ।। ३४० ॥ ४ उत्सवेषु सुहृद्भिर्यद् बलादाकृष्य गृह्यते । वस्त्रमाल्यादि तत्पूर्णपात्र पूर्णानकं च तत् ॥ ३४१ ॥ ५तत्तु स्यादाप्रपदीनं व्याप्नोत्याप्रपदं हि यत् । ६चीवरं भिक्षुसङ्घाटी ७जीर्णवस्त्रं पटच्चरम् ॥ ३४२ ॥ शाणी गोणी छिद्रवस्त्रे जलार्द्रा क्लिन्नवाससि । १० पर्यस्तिका परिकरः ११कुथे वर्णः परिस्तोमः
२. 'कौपीन, लंगोटी' के २ कौपीनम् ॥
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पर्यङ्कश्चावसक्थिका ॥ ३४३ ॥ प्रत्रेणीनवतास्तराः ।
नाम हैं - कक्षापट : ( + कक्षापुट: ),
- छनने के समान
२. 'पानी, आदि छाननेका कपड़ा ( छनना या - कपड़े का टुकड़ा' के २ नाम हैं—नक्तकः, कर्पेट : ( पुन ) ॥
३. ' गद्दी आदिपर बिछानेका चादर, पलंगपोश' के ४ नाम हैंनिचोल:, प्रच्छदपट, निचुल:, (+निचुलकम्, पुन ), उत्तरच्छदः ॥
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४. 'पुत्रोत्पत्ति या विवाहादि उत्सव के समय मित्रों आदि ) के द्वारा हठपूर्वक जो कपड़ा या माला ( हार ) जाता है, उस ( कपड़े या माला आदि ) ' के २ नाम पूर्णानकम् ।।
(या-प्रिय नौकर
श्रादि छीन लिया है - पूर्णपात्रम्,
५. 'पैरकी घुट्टीतक पहुँचनेवाले वस्त्र ( पाजामा, अँगरखा या बुर्का ) 'का १ नाम है - श्राप्रपदीनम् ॥
६. 'मुनि यां साधु आदिके ( नीचे तक पहने जानेवाले ) वस्त्र' के २ नाम है - चीवरम्, भिक्षुसङ्गाटी ॥
७. 'पुराने वस्त्र'का १ नाम है — पटच्चरम् ||
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८. 'जालीदार कपड़े के २ नाम हैं- शाणी, गोणी ॥
६. 'भींगे हुए कपड़े' का १ नाम है - जलार्द्रा ॥
१०. 'विशेष ढंग से बैक पीठ और दोनों घुटनोंको बांधनेवाले गमछी श्रादि कपड़े के ४ २ - पर्यस्तिका, परिकरः, पर्यङ्कः (+पल्यङ्कः ), raafक्थिका ।।
११. 'हाथी श्रादिके भून या रथ आदिके पर्दे के ६ नाम हैं— कुथः ( त्रि ), वणः, परिस्तोमः ( + वर्णपरिस्तोमः ), प्रवेणी, नवतम्, श्रान्तरः ( + आस्तरणम् ) ॥