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मर्त्यकाण्ड : ३ ]
'मणिप्रभा व्याख्योपेतः
१ नायकस्तरलो. हारान्तर्मणिर्मुकुटं पुनः ।। ३१४ ॥ मौलिः किरीटं कोटीरमुष्णीपं ३पुष्पदाम तु । मूनि माल्यं माला ग् ४ गर्भकः केशमध्यगम् ॥। ३१५ ।। ५प्रभ्रष्टकं शिखालम्बि ६पुरोन्यस्तं ललामकम् ।
७ तिर्यग् वक्षसि वैकक्षं प्रालम्बमृजुलम्बियन् ॥ ३१६ ॥ सन्दर्भो रचना गुम्फः श्रन्थनं ग्रन्थनं समाः । १० तिलके तमालपत्र चित्र पुण्ड्रविशेषकाः ॥ ३१७ ॥
११प्रापीडशेखरोत्तंसाऽवतंसाः शिरसः स्रजि ।
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१. 'माला के बीच वाले सामान्य से कुछ बड़े दाने के ३ नाम हैं-नायकः, तरल:, हारान्तर्मणिः ।।
२. 'मुकुट' के ५ नाम हैं - मुकुटम् ( न । ÷ पुन | + मकुट: ), मौलि: (पुत्री), किरीटम्, कोटीरम्, उष्णीषम् ( ३ पु न ) ॥
३. 'मस्तकस्थ फूलको माला' के ३ नाम है - माल्यम्, माला, सक ) ॥
४. ‘बालो’के बीच में स्थापित फूलको माला' का १ नाम है - गर्भकः ।। ५. 'चोटीसे लटकनेवाली फूलोंकी माला'का १ नाम है - प्रभ्रष्टकम् ॥ ६. 'सामने लटकती हुई फूलों की माला'का १ नाम है - ललामकम् ॥ ७. 'छातीपर तिर्छा लटकती हुई फूलकी माला का १ नाम है – वैकक्षम् ॥ ८. 'कण्ठसे छातीपर सीधे लटकती हुई फूलोंकी माला' का ४ नाम है - प्रालम्बम् ॥
६. ‘माला ( हार आदि ) बनाने ( गूथने ) के ५ नाम है – सन्दर्भः, रचना, गुम्फः, अन्थनम्, ग्रन्थनम् ॥
शेषश्चात्र - रचनायां परिस्पन्दः प्रतियत्नः ।
१०. ‘तिलक ( ललाट, कपोल आदिपर लगाये गये चन्दनादिकी विविध रचना ) 'के' ५ नाम हैं - तिलकम् (पुं न ), तमालपत्रम् चित्रम् ( + चित्रकम् ), पुण्ड्रम्, विशेषकम् ( पु न ) ॥
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विमर्श - - उक्त पाँच पर्यायोंके विभिन्न प्रकारकी तिलकरचना के अर्थमें प्रयुक्त होनेपर भी यहाँ विशेष भेद नहीं होनेसे इन की गणना पर्यायमें की गयी है ।
११. 'शिरपर लपेटी हुई माला' के ४ नाम हैं- श्रापीडः, शेखरः, उत्तंसः, अवतंसः (+वतंसः । सब पुन ) ॥ ११ अ० चि०