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________________ ( १६ ) कलात्मक निर्माण के प्रेरक आचार्य हेमचन्द्र की प्रेरणा से पश्चिम तथा पश्चिमोत्तर भारत में अनेक मन्दिरों एवं विहारों का निर्माण हुआ । संसारप्रसिद्ध ऐतिहासिक सोमनाथ के मन्दिर का पुनर्निर्माण आचार्य हेमचन्द्र की प्रेरणा से हुआ था । प्रबन्धचिन्तामणि के रचयिता मेरुतुंग ने इस घटना का उल्लेख किया है । पञ्चकुल के मन्दिर के सम्पन्न हो जाने पर आचार्य हेमचन्द्र और कुमारपाल दोनों ही देवदर्शन करने गये थे | आचार्य हेमचन्द्र के प्रभाव एवं प्रेरणा से गुजरात तथा राजस्थान में बने मन्दिर एवं विहार कला के उत्कृष्ट नमूने हैं । शिष्यवर्ग आचार्य हेमचन्द्र जैसे प्रतिभाशाली व्यक्तित्व सम्पन्न और उत्तमोत्तम गुणों के धारक थे, वैसा ही उनका शिष्य-समूह भी था । रामचन्द्र सूरि, बालचन्द्र सूरि, गुणचन्द्र सूरि, महेन्द्र सूरि, वर्धमान गणी, देवचन्द्र, उदयचन्द्र, एवं यश-अन्द्र उनके प्रख्यात शिष्य थे। इन्होंने हेमचन्द्र की कृतियों पर टीकाएँ तथा वृत्तियाँ लिखी हैं, साथ ही इनके स्वतन्त्र ग्रन्थ भी उपलब्ध हैं । रामचन्द्र सूरि इन सभी शिष्यों में अग्रणी थे । उनमें कवि की प्रखर प्रतिभा एवं साधुस्व अलौकिक तेज था । कुमारविहारशतक के रचयिता ये ही हैं। इन्हें 'प्रबन्धशत - कर्ता' कहा जाता है। रामचन्द्र और गुणचन्द्र सूरि ने मिलकर 'नाव्यदर्पण' की रचना की है । महेन्द्र सूरि ने अभिधानचिन्तामणि, अनेकार्थनाममाला, देशीनाममाला और निघण्टु पर टीकाएँ लिखी हैं । देवचन्द्र सूरि ने 'चन्द्रलेखा - विजयप्रकरण' और बालचन्द्र गणि ने 'स्नातस्या' नामक काव्य की रचना की है। साहित्य हेमचन्द्र की साहित्य साधना बहुत विशाल एवं व्यापक है । जीवन को संस्कृत, संवर्द्धित और संचालित करनेवाले जितने पहलू होते हैं, उन सभी को उन्होंने अपनी लेखनी का विषय बनाया है । व्याकरण, छन्द, अलङ्कार, कोश एवं काव्य विषयक इनकी रचनाएँ बेजोड़ हैं। इनके ग्रन्थ रोचक, मर्मस्पर्शी एवं सजीव हैं । पश्चिम के विद्वान् इनके साहित्य पर इतने मुग्ध हैं कि इन्होंने इन्हें ज्ञान का महासागर कहा है । इनकी प्रत्येक रचना में नया दृष्टिकोण और नयी शैली वर्तमान है। श्री सोमप्रभ सूरि ने इनकी सर्वाङ्गीण प्रतिभा की प्रशंसा करते हुए लिखा है
SR No.002275
Book TitleAbhidhan Chintamani
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, Hargovind Shastri
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year1966
Total Pages566
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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