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________________ १५१ मयंकाण्ड: ३] 'मणिप्रभा'व्याख्योपेतः . -श्वामे तु रक्तफेनजः। पुष्पसः स्यारदथ प्लीहा गुल्मोऽ३न्त्रं तु पुरीतति ।। २६६ ।। ४रोमावली रोमलता ५नाभिः स्यात्तन्दकूपिका। ६नाभेरधो मूत्रपुटं वस्तिर्मूत्राशयोऽपि च ॥ २७० ॥ मध्योऽवलग्न विलग्नं मध्यमोऽथ कटः कटिः। श्रोणिः कलत्रं कटीरं काञ्चीपद ककुद्मती ।। २७१ ॥ नितम्बारोही स्त्रीकट्याः पश्चा१०ज्जघनमप्रतः । ११त्रिकं वंशाध१२स्तत्पावकूपकौतु कुकुन्दरे ।। २७२ ।। १३युतौ स्फिचौ कटिपोथौ-.. शेषश्चात्र-जठरे मलुको रोमलताधारः । १. 'फुफ्फुस' (हृदयके बांये भागमें रतफेनसे उत्पन्न के नाम है-रतफेनवः, पुष्पसः ॥ २. 'प्लीहा, गुल्मनामक रोग'के २ नाम हैं-प्लीहा, गुल्मः (पुन) ३. 'श्रांत के २ नाम है-अन्त्रम् , पुरीतत् (नं।+पु)॥ ४. 'नाभिके नीचेवाली रोमपंक्ति के २ नाम है-रोमावली, रोमलता ।। ५. 'नामि'के २ नाम है-नाभिः (पुत्री), तुन्दकूपिका ।। शेषधात्र-अथ क्लोमनि । स्यात्ता क्लपुष क्लोमम् । ६. 'भूत्राशय के ३ नाम हैं-मूत्रपुटम् ; वस्तिः (पु स्त्री), मूत्राशयः।। ७. 'शरीरके मध्यभाग'के ४ नाम है-मध्यः, अवलग्नम् , मध्यमः (सब पु. न)॥ ८. कटि, कमर के नाम हैं-कटः (पु न ), करिः (स्त्री), भोणिः (पु स्त्री), कलत्रम् , कटीरम् काञ्चीपदम् , ककुद्मती॥ ६. 'नितम्ब (स्त्रीके चूतड़ ) के २ नाम हैं-नितम्बः, आरोहः ॥ १०. 'जघनका १ नाम है-अधनम् ।। ११. 'पीठको रीढ़के नीचे तथा दोनों ऊरके जोड़वाले भाग'का १ नाम है-त्रिकम् ॥ १२. 'उक्त, त्रिक'के पासवाले दोनों भागमें स्थित गर्तविशेष'का १ नाम है-कुकुन्दरे ( न, द्विस्वापेक्षासे द्विवचन कहा गया है अतः एकवचन भी होता है।++कुकुन्दुरः)॥ शेषश्चात्र-कटीकूपो चिलिङ्गौ रतावुके । १३. 'दोनों चूतड़ों के २ नाम है-स्फिचौ ( च , स्त्री), कटिपोयो। (द्वित्वकी अपेक्षासे द्विवचन कहा गया है, अतः एकवचन मी होता है)।
SR No.002275
Book TitleAbhidhan Chintamani
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, Hargovind Shastri
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year1966
Total Pages566
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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