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________________ ૦ अभिधानचिन्तामणि श्रीढकः पृष्ठवंशः स्यात् २पृष्ठं तु चरमं तनोः ॥ २६५ ॥ ३पूर्वभाग उपस्थोऽङ्कः क्रोड उत्सङ्ग इत्यपि । ४क्रोडोरो हृदयस्थानं वक्षो वत्सो भुजान्तरम् ।। २६६ ॥ ५स्तनान्तरं हृद् हृदयं स्तिनौ कुचौ पयोधरौ। उरोजौ च ७चूचुकं तु स्तनाद् वृन्तशिखामुखाः ।। २६७ ॥ पतुन्दं तुन्दिर्गर्भकुक्षी पिचण्डो जठरोदरे । हकालखण्ड कालखझं कालेयं कालकंयकृत्।। २६८ ।। १०दक्षिणे तिलकं क्लोम१. 'पीठकी रीढ़'के २ नाम हैं-रीढक: , पृष्ठवंशः॥ २. 'पीठ'का १ नाम है-पृष्ठम् । ( अारोपसे 'पृष्ठ' शब्द पीछेका भी वाचक है)। ३. 'गोद, क्रोड'के ४ नाम हैं-उपस्थः, अङ्कः, कोड:, उत्सनः ।। ४. 'अँकवार ( दोनों भुजाओंका मध्यभाग) के ६ नाम हैं-क्रोडा (स्त्री न). उरः (-रस , न ), हृदयस्थानम् , वक्षः (-स् , न ), वत्स: (पुन ), भुजान्तरम् ॥ . ५. 'हृदय'के ३ नाम हैं-स्तनान्तरम् , हृत् (-द् न ), हृदयम् ।। शेषश्चात्र-हृद्यसह मर्मचरं गुणाधिष्ठानकं त्रसम् । ६. स्तन'के ४ नाम हैं-स्तनौ, कुची, पयोधरौ, उरोजौ ( यौ०उरसिजी, वक्षोजो,"द्वित्वको अपेक्षासे इनका प्रयोग द्विवचनमें हुश्रा शेषश्चात्र-गुणौ तु धरणौ। । ७. स्तनके अग्रभाग (जिसे बच्चे मुखमें लेकर दुग्धपान करते हैं, उस के ४ नाम हैं-चूचुकम् (पुन), स्तनवृन्तम् , स्तनशिखा, स्तनमुखम् ॥ शेषश्चात्र-अग्रे तयोः पिप्पलभेचको। ८. 'पेट, तोंद'के ७ नाम है-तुन्दम् , तुन्दिः (स्त्री), गर्भः, कुतिः (पु I+ पु स्त्री), पिचण्डः, जठरम् (पुन), उदरम् ( न ।+ पु स्त्री) ( वाचस्पतिके मतसे 'पेट'के अाधारका नाम 'कुक्षि है)॥ • ६. यकृत् , कलेजा ( हृदयके भागमें स्थित कृष्ण वर्णवाले मांसविशेष) के ५ नाम है-कालखण्डम् , कालखञ्चम् , कालेयम् , कालकम् . यकृत् (न)॥ १०. 'फेफड़ा (हृदयके दहने भागमें स्थित पेटके जलाधार-विशेष) के २ नाम है-तिलकम् , क्लोम (-मन् , न)॥
SR No.002275
Book TitleAbhidhan Chintamani
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, Hargovind Shastri
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year1966
Total Pages566
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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