SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 194
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १४६ मर्त्यकाण्डः ३] मणिप्रभा'व्याख्योपेतः १संपीडितांगुलिः पाणिर्मुष्टिर्मुस्तुर्मुचुट्यपि । संग्राहश्चार्धमुष्टिस्तु खटकः ३कुब्जितः पुनः ।। २६१ ॥ पाणिः प्रसृतः प्रमृति४स्तौ युतौ पुनरञ्जलिः । ५प्रसृते तु द्रवाधारे गण्डूषश्चुलुकश्चलुः ।। २६२ ॥ ६हस्तः प्रामाणिको मध्ये मध्यमाङ्गुलिकूपरम् । ७बद्धमुष्टिरसौ. रनिरनिनिष्कनिष्ठिकः ॥ २६३ ॥ हव्यामव्यायामन्यग्रोधास्तिर्यग्बाहू प्रसारितौ । १०ऊर्वीकृतभुजापाणि नरमानं तु पौरुषम् ।। २६४ ॥ ११दघ्नद्वयसमात्रास्तु जान्वादेस्तत्तदुन्मिते । १. 'मुटी, मुक्का'के ४ नाम है-मुष्टिः, मुस्तुः, (२ पु स्त्री ), मुचुटी (स्त्री), संग्राहः ॥ २. 'खुली हुई (आधी बंद ) मुट्ठी'का १ नाम है-खटकः ।। ३. 'पसर के २ नाम हैं-प्रसृतः, प्रसूतिः (स्त्री)।। . ४. 'अञ्जलिका १ नाम है-अञ्जलिः (पु)॥ ५. 'चुल्लू'के ३ नाम हैं-गण्डूषः, 'चुलुकः (२ पु स्त्री), चलुः (पु । +चलुकः)॥ ६. 'हाथभर ( केहुनीसे मध्यमा अङ्गलितक फैलाने से होनेवाले २४ अंगुल या २ वित्तेकी लम्बाईवाले प्रमाणविशेष )का १ नाम है-हस्तः ॥ ७. 'निमुठ हाथभर ( केहुनीसे मुट्ठी बांधकर फेलानेसे होनेवाले नाप) का नाम है-रनिः (पु स्त्री)। ८. 'केहुनीसे कनिष्ठा अंगुलिके फैलानेसे होनेवाले नाप'का १ नाम है-अरस्निः (पु स्त्री)॥ ६. 'दोनों हाथ फैलानेपर होनेवाले नापके ३ नाम हैं- व्यामः, व्यायामः, न्यग्रोधः । शेषश्चात्र-अथ व्यामे वियामः स्याद्वाहुचापस्तनूतलः। १०. 'पोरस' (खड़ा होकर हाथ उठानेसे होनेवाले (साढ़े चार हाथका)नाप'का १ नाम है-पौरुषम् ॥ ११.. 'जानु आदि शब्दोंके बादमें 'दघ्नम् , द्वयसम् , मात्रम् (३ त्रि) प्रत्यय लगानेसे बने हुए 'जानुघ्नम् , जानुद्वयसम् , जानुमात्रम्' शब्द 'जानु (घुटने. ठेहुने ) तक पानी आदिके नाम हो जाते हैं। यथा-जानुदध्नं जलम् , जानुद्वयसं जलम् , जानुमात्रं जलम्'का अर्थ 'घुटनाभर पानी' होता है। ( इसीप्रकार 'ऊरु' आदि शन्दोंके बाद 'दन' आदि बोड़नेपर 'ऊरुघ्नम' आदि शब्द बनते हैं ) ॥
SR No.002275
Book TitleAbhidhan Chintamani
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, Hargovind Shastri
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year1966
Total Pages566
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy