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अभिधानचिन्तामणिः
-१दाढा दंष्ट्रा जम्भो २द्विजा रदाः ॥ २४७ ।। रदना दशना दन्ता दंशखादनमल्लकाः ।
राजदन्तौ तु मध्यस्थावुपरिश्रेणिको कचित् ॥ २४ ॥ ४रसज्ञा रसना जिह्वा लोला तालु तु काकुदम् ।। ६सुधास्रवा घण्टिका च लम्बिका गलशुण्डिका ॥ २४६ ।। ७कन्धरा धमनिर्णीवा शिरोधिश्च शिरोधरा।। प्सा त्रिरेखा कम्बुप्रीवाऽवटुर्घाटा कृकाटिका ।। २५० ॥ १०कृकस्तु कन्धरामध्यं ११कृकपाश्वौँ तु. वीतनौ । १२ग्रीवाधमन्यौ प्राग नीले १३पश्चान्मन्ये कलम्बिके ।। २५१ ।।
१. 'दाद'के ३ नाम हैं -दाढा, दंष्ट्रा, जम्भः ।।
२. 'दांत के ८ नाम है-द्विजाः, रदाः, रदनाः, दशनाः, दन्ताः, दंशाः, खादनाः, मल्लकाः । (यहां बहुत्यापेक्षा से बहुंवचन कहा गया है )॥
शेषश्चात्र-दन्ते मुखखुरः खरुः । दालुः। ३. 'अपरमें स्थित बीचवाले दो दांतो'का १ नाम है-राजंदन्तौ ॥
विमर्श-किसी-किसीके मतसे ऊपर-नीचे ( दोनों भागोंमें ) स्थित दो-दो दाँतो'का १ नाम है-राजदन्ताः। दोनोंमें से प्रथम मतमें दो दांत होनेसे द्विवचन तथा दूसरे मतमें चार दांत होनेसे बहुवचन प्रयुक्त हुश्रा है ।
४. 'जीभ'के ४ नाम हैं-रसशा, रसना ( स्त्री न ), जिहा, लोला । शेषश्चात्र-जिह्वा तु रसिका, रस्ना च रसमातृका । रसा काकुर्ललना च । ५. 'तालु'के २ नाम है-तालु (न), काकुदम् ॥ . शेषश्रात्र-वक्त्रदलं. तु तालुनि। ६. 'घाटी'के ४ नाम हैं-सुधासवा, घण्टिका, लम्बिका, गलशुण्डिका ॥
७. 'गर्दन'के ५ नाम हैं-कन्धरा, धमनि: (स्त्री), ग्रीवा, शिरोधिः (स्त्री), शिरोधरा ।।
. 'तीन रेखायुक्त गर्दन'का १ नाम है-कम्बुग्रीवा ।।
६. गर्दनके पीछेवाले भाग'के ३ नाम हैं-अवटुः, ( पु स्त्री), घाटा, कृकाटिका ॥ . शेषश्चात्र-अक्टौ तु शिरःपीठम् ॥ १०. 'गर्दनके बीच'का १ नाम है-कृकः ॥ ११. 'उक्त कृकके अगल-बगलवाले मागो'का १ नाम है-वीतनौ ॥
१२. 'गर्दनके श्रागेवाली दोनों नाड़ियों'का १ नाम है-नीले (-ला, स्त्री)॥
१३. 'गर्दन के पीछेवाली दोनों नाड़ियो'का १ नाम है-कलम्बिके (का,