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________________ १३२ अभिधानचिन्तामणिः . १प्रज्ञा प्राज्ञी प्रजावत्यां २प्राज्ञा तु प्रज्ञयाऽन्विता । ३स्यादाभीरी महाशूद्री जातियोगयोः समे ॥ १८६ ।। ४पुयुज्याचायोचायोनी ५मातुलानी तु मातुली। ६उपाध्यायान्युपाध्यायी ७क्षत्रिय्ययी च शूद्रयपि।। १८७ ॥ ८स्वत आचार्या शूद्रा च क्षत्रिया क्षत्रियाण्यपि । १०उपाध्याय्युपाध्याया स्या११दयोऽाण्यो पुनः समे ॥ १८ ॥ १२दिधिषूस्तु पुनर्भूढेिरूढा१३ऽस्या दिधिषूः पतिः। १४स तु द्विजोऽदिधिषूर्यस्य स्यात्सैव गेहिनी ॥ १८६ ।। १. 'जानकार स्त्री'के २ नाम है-प्रज्ञा, प्राज्ञी ॥ २. 'विशिष्ट बुद्धिमती स्त्री'का १ नाम है-प्राज्ञा ।। ३. 'भाभीर (ग्वाले )की स्त्री या आभीर जातिमें उत्पन्न स्त्री'का १ नाम 'आभीरी' और 'महाशूद्रकी स्त्री या महाशद्र जातिमें उत्पन्न स्त्री'का १ नाम 'महाशूद्री' है ॥ ४. 'आचार्यकी पत्नी के २ नाम हैं-आचार्या, आचार्यानी॥ . ५. 'मामी ( मामाकी स्त्री) के २ नाम हैं-मातुलानी, मातुलो ।। ६. 'उपाध्यायकी स्त्री के २ नाम हैं-उपाध्यायानी, उपाध्यायो । ७. 'क्षत्रिय तथा शूद्रको (अन्यजात्युत्पन्न भी ) स्त्री का क्रमश: १.१ नाम है-क्षत्रियी, अर्थी॥ ८. पतिके आचार्य नहीं होनेपर भी स्वयं प्राचार्याका काम करने वाली स्त्री'का १ नाम 'प्राचार्या' तथा 'पतिके शूद्रजातीय नहीं होनेपर भी स्वयं शूद्र जात्युत्पन्न स्त्री'का १ नाम 'शूद्रा' है ॥ ६. 'पतिके क्षत्रिय होनेपर भी स्वयं क्षस्त्रिय-जात्युत्पन स्त्री'के २ नाम हैं-क्षत्रिया, क्षत्रियाणी ॥ १०. 'पतिके उपाध्याय नहीं होनेपर भी स्वयं उपाध्यायाका कार्य करने. वाली स्त्री'के २ नाम हैं-उपाध्यायी, उपाध्याया। ११. 'पतिके वैश्य नहीं होनेपर भी स्वयं वैश्यजातीय स्त्री'के २ नाम हैंअर्या, अर्याणी ॥ १२. 'दोबार विवाहिता ( विधवा होनेपर विवाहकी हुई स्त्री ) के ३ नाम हैं-दिधिषूः (+दिधीषूः), पुनभूः, द्विरूढा ।। १३. 'दोबार विवाहिता स्त्रीके पति'का १ नाम है-दिधिषूः ।। १४. 'दूसरी बार विवाहिता जिसकी धर्मपत्नी हो, उस द्विज (ब्राह्मण, क्षत्रिय या वैश्य ) पति'का १ नाम है-अदिधिः ॥
SR No.002275
Book TitleAbhidhan Chintamani
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, Hargovind Shastri
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year1966
Total Pages566
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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