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. मयंकाण्ड: ३] 'मणिप्रभा'व्याख्योपेतः
-श्लोको जनः प्रजा ॥ १६५ ॥ २स्यादामुव्यायणोऽमुष्यपुत्रः प्रख्यातवप्तकः । ३कुल्यः कुलीनोऽभिजातः कौलेयकमहाकुलौ ।। १६६ ।। जात्यो ४गोत्रन्तु सन्तानोऽन्ववायोऽभिजनः कुलम् । अन्वयो जननं वंशः पुत्री नारी वनिता वधूः ॥ १६७ ।। वशा सीमन्तिनी वामा वर्णिनी महिलाऽबला। योषा योषिविशेषास्तु कान्ता भीरुर्नितम्बिनी ॥ १६८ ॥ प्रमदा सुन्दरी रामा रमणी ललनाऽङ्गना। ७स्वगुणेनोपमानेन मनोज्ञादिपदेन च ।। १६६ ।। विशेषिताङ्गकर्मा स्त्री यथा तरललोचना। अलसेक्षण मृगाक्षी मत्तेभगमनाऽपि च ॥ १७० ॥ वामाक्षो सुस्मिता१. 'प्रजा, जनक ३ नाम है-लोकः, जनः, प्रजा ॥
२. 'विख्यात पितावाले'के ३ नाम है-आमुष्यायणः, अमुध्यपुत्रः, प्रख्यातवस्तृकः ॥
३. 'कुलीन ( उत्तम वंशमें उत्पन्न ) के ६ नाम हैं-कुल्यः, कुलीनः, . अभिवातः, कौलेयकः, महाकुलः, जात्यः ॥ ___४. 'वंश, कुल के नाम हैं-गोत्रम्, सन्तानः (+सन्ततिः), अन्ववायः, अभिजनः, कुलम्, अन्वयः, जननम् , वंशः ।।.
५. 'नारी, स्त्री के १२ नाम है-स्त्रो, नारी, वनिता, वधूः, वशा, सीमन्तिनी, वामा, वणिनी, महिला (+महेला, अबला, योषा, योषित् (+योषिता)
६.ये स्त्रियोंके विभिन्न ' भेद-विशेष है-कान्ता, भीरुः, नितम्बिनी, प्रमदा, सुन्दरी, रामा, रमणी, ललना, अङ्गना ।।
. ७. 'अहो या कार्योंके गुण या उपमानसे तथा 'मनोज्ञ' आदि (आदि' पदसे 'वाम, विशाल,".......'का संग्रह है ) विशेषित अङ्गों (यथा-लोचन, . ईक्षण.) तथा कार्यों ( यथा-मन, स्मित,.....)वाली स्त्री के विभिन्न पर्याय होते है-क्रमशः उदा० यथा-"तरललोचना, अलसेक्षणा, मृगाक्षी, मत्तेभगमना, वामाक्षी, सुस्मिता" (इनमेंसे क्रमशः १-१ नाम 'चञ्चल नेत्रोंवाली, आलसयुक्त नेत्रोंवाली, मृगके समान नेत्रोंवाली, मतवाले हाथीके समान बालवाली, सुन्दर नेत्रोंबाली और सुन्दर मुस्कानवाली स्त्री का है। . विमर्श-उक्त ६ पर्यायोंमेंसे 'तरललोचना' पदमें 'तरलता नेत्रका असाधारण अपना ( नेत्रका) गुण है, 'अलसेक्षणा' पदमें नेत्रका क्षण' अर्थात् 'देखना' रूप कार्यकी अलसता' असाधारण अपना ( नेत्रका) गुण है,