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________________ १२१ मयंकाए ड: ३] 'मणिप्रभा'व्याख्योपेतः -नीलीरागस्तु स्थिरसौहृदः। २ततो हरिद्रारागोऽन्यः ३सान्द्रस्निग्धस्तु मेदुरः ॥ १४०॥ ४गेहेनर्दी गेहेशूरः पिण्डीशूरो५ऽस्तिमान् धनी । ६स्वस्थानस्थः परद्वेषी गोष्ठश्वोऽक्षापदि स्थितः ।। १४१ ।। आपन्नोऽथापद्विपत्तिर्विपत् हस्निग्धस्तु वत्सलः। . १०उपाध्यभ्यागारिको तु कुटुम्बव्यापृते नरि ॥ १४२ ॥ ११जैवातृकस्तु दीर्घायु१२स्त्रासदायो तु शङ्करः। १३अभिपन्नः शरणार्थी १४कारणिकः परीक्षकः।। १४३ ॥ १. 'दृढ मित्रता या प्रेम करनेवाले'के २ नाम हैं-नीलीरागः, स्थिर सौहृदः ।। २. 'क्षणिक ( कुछ समयके लिए ) मित्रता या प्रेम करनेवाले'का १ नाम है-हरिद्रारागः ॥ . ३. 'अधिक स्निग्ध (स्नेह रखनेवाले )के २ नाम हैं-सान्द्रस्निग्धः, मेदुरः ॥ ___४. 'घरमें ही शूरता प्रदर्शित करनेवाले ( किन्तु अवसर पड़नेपर मैदान छोड़कर भाग या छिप जानेवाले ) के ३ नाम हैं---गेहेनर्दी (-दिन्), गेहेशूरः, पिण्डीशूरः ॥ ... ५. 'धनवान्'के ३ नाम हैं-अस्तिमान् (-मत् ), धनी (-निन् । धनवान्-वत , धनिक,.........") ६. 'अपने स्थानपर रहकर दसरेसे द्वेष करनेवाले'का १ नाम हैगोष्ठश्वः ॥ ७. 'श्रापत्तिमें पड़े हुए'का १ नाम है-श्रापन्नः ॥ ८. 'आपत्तिके ३ नाम हैं-बापत् (-), विपत्तिः, विपत् (-द् ।+ आपदा, आपत्तिः, विपदा )। ६. 'स्नेही' के २ नाम हैं-स्निग्धः, वत्सलः ॥ १०. 'स्त्री-पुत्रादि परिवारके पालन-पोषणमें लगे हुए'के २ नाम हैंउपाधिः (पु), अभ्यागारिकः ।। ११. 'दीर्घायु'के २ नाम है-जैवातृकः, दीर्घायुः, (-युस् । (+आयुधमान्,-मत्, चिरायु:-युष )॥ ___१२. 'दूसरेको भयभीत करनेवाले'के २ नाम हैं-त्रासदायी (-यिन् ), शङ्करः ।। १३. 'शरणार्थी'के २ नाम हैं-अभिपन्नः, शरणार्थी (-र्थिन् ) ॥ १४. 'परीक्षा लेनेवाल'के २ नाम हैं-कारणिकः, परीक्षकः ॥
SR No.002275
Book TitleAbhidhan Chintamani
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, Hargovind Shastri
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year1966
Total Pages566
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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