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अभिधानचिन्तामणिः .
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- १खोडखोरौ तु खञ्जके । २विकलाङ्गस्तु पोगण्ड ३ ऊर्ध्व जुरूर्ध्वजानुकः ।। ११६ !! ऊर्ध्वज्ञश्चा४प्यथ प्रज्ञप्रझौ विरलजान के ।
५संज्ञसंज्ञौ युतजानौ ६वलिनो वलिभः समौ ॥ १२० ॥ ७उदग्रदन् दन्तुरः स्यात् प्रलम्बाण्डस्तु मुष्करः । अन्धो गताक्ष १० उत्पश्य उन्मुखो ११धोमुखस्त्ववाङ् ॥ १२१ ॥ १२ मुण्डस्तु मुण्डितः १३ केशी केशवः केशिकोऽपि च । १४वलिर : केकरो -
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१. 'खञ्ज (लँगड़े)' के ३ नाम हैं- खोड:, खोरः, खञ्जकः (+ खञ्जः ) ।। २. ‘किसी अङ्ग से हीन या अधिक ( यथा - २,३ या ४ अङ्गुलियोंवाला, या छः अङ्गुलियोंवाला - छांगुर ) ' के २ नाम हैं -- विकलाङ्गः, पोगण्डः ॥ ३. 'जिसका घुटना ऊपर उठा हो, उस' के ३ नाम हैं – ऊर्ध्वज्ञः, ऊर्ध्व - जानुकः, ऊर्ध्वज्ञः ॥
४. 'वातादि दोष से जिसका घुटना अलग-अलग रहे अर्थात् बैठने में सटता न हो उस’के ३ नाम हैं- प्रजुः, प्रज्ञः, विरलजानुकः ||
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५. मिले ( सटे ) हुए घुटनेवाले' के ३ नाम हैं - संज्ञः, संज्ञः, युतजानुः ॥ ६. ( रोग या बुढ़ापा आदि से ) ' सिकुड़े हुए चमड़ेवाले' के २ नाम हैंवलिनः, वलिभः ॥
७. 'दन्तुर ( बाहर निकले हुए दाँतवाले ) के २ नाम हैं - उदग्रदन् ( - त् ), दन्तुरः ॥
८. 'बढ़े हुए अण्डकोषवाले' के २ नाम हैं - प्रलम्बाण्डः, मुष्करः ॥
६. ' अन्धे' के २ नाम हैं - अन्धः, गताक्षः ॥
शेषश्चात्र — अनेडमूकस्त्वन्धे ।
१०. 'ऊपर की ओर उठे हुए मुखवाले' के २ नाम हैं - उत्पश्यः, उन्मुखः ॥ ११. 'नीचे की ओर दबे हुए मुखवाले' के २ नाम हैं - अधोमुखः, श्रवाङ ( - वाञ्च् ) ॥
. शेषश्चात्र - न्युब्जस्त्वधोमुखे ।
१२. ‘मुण्डित ( शिरके बालको मुँड़ाए हुए ) ' के २ नाम हैं- मुण्ड:, मुण्डित: ।
१३. 'शिरपर बाल बढ़ाये हुए' के ३ नाम हैं - केशी ( - शिन् ), केशव:, केशिकः ।
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१४. 'सर्गपाताली ( जो एक आँखको ऊपर उठाकर देखा करता हो, उस ) ' के २ नाम हैं - वलिरः, केकरः ॥