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अभिधानचिन्तामणिः गौरी काली पार्वती मातृमाताऽपर्णा रुद्राण्यम्बिकाय-म्बकोमा । दुर्गा चण्डी सिंहयाना मृडानीकात्यायन्यौ दक्षजाऽऽर्या कुमारी ॥११७॥ शिवा सती महादेवी शर्वाणी सर्वमङ्गला । भवानी कृष्णमैनाकस्वसा मेनाद्रिजेश्वरा ॥ ११८ ॥
निशुम्भशुम्भमहिषमथनी भूतनायिका । व्यक्ति पृथ्वीपर भी उसी प्रकार डूबता उतराता (तैरता ) है जिस प्रकार पानीमें । 'महिमा में छोटा भी व्यक्ति पर्वत-नगर-आकाशादिके समान अत्यधिक बड़ा हो सकता है । 'अणिमा' में बहुत बड़ा भी व्यक्ति कीट, मच्छर, परमाणु आदिके समान सूक्ष्मसे सूक्ष्म हो सकता है। यत्रकामावसायित्व' में इच्छानुसार कार्य होता है अतः उक्त सिद्धि पाया हुआ व्यक्ति विषको भी अमृतकार्यमें संकल्प कर खिलाकर किसी को जिलाता है। 'प्राप्ति में समस्त कार्य उसके समीपवर्ती हो. रहते हैं, अतः वह भूमिपर बैठा हुआ ही अँगूठेसे आकाशस्थ चन्द्रको छू सकता है ।
१. 'पार्वती'के ३२ नाम हैं-गौरी, काली, पार्वती, मातृमाता (-मातृ), अपर्णा, रुद्राणी, अम्बिका, त्र्यम्बका, • उमा, दुर्गा, चण्डी, सिंहयानां ( यौ०-सिंहवाहना,....), मृडानी, कात्यायनी, दक्षजा ( यौ०दाक्षायणी ), आर्या, कुमारी, शिवा (+शिवी ), सती, महादेवी, शर्वाणी, सर्वमङ्गला, भवानी, कृष्णस्वसा, मनाकस्सा (२-स्वस), मेनाजा, अद्रिचा, ईश्वरा (+ ईश्वरी ), निशुम्भमथनी, शुम्भमथनी, महिषमथनी, भूतनायिका ।। शेषश्चात्र-गौतमी कौशिकी कृष्णा तामसी बाभ्रवी जया । . कालरात्रिमहामाया भ्रामरी यादवी वरा । बर्हिध्वजा शूलधरा परमव्रसदा ब्रह्मचारिणी ॥ अमोघा विन्ध्यनिलया षष्ठी कान्तारवासिनी । । जाङ्गली बदरीवासा वरदा कृष्णपिङ्गला ।। दृषद्वतीन्द्रभगिनी प्रगल्भा रेवती तथा । महाविद्या सिनीवाली रक्तदन्त्येकपाटला ॥ एकपर्णा बहुभुजा नन्दपुत्री महाजया। भद्रकाली महाकाली योगिनी गणनायिका ।। हासा भीमा प्रकूष्माण्डी गदिनी वारुणी हिमा । अनन्ता विजया क्षमा मानस्तोका कुहावती ।। चारणा च पितृगणा स्कन्दमाता घनाञ्जनी । गान्धर्वी कबुरा गार्गी सावित्री ब्रह्मचारिणी ॥ कोटिभीमन्दरावासा केशी मलयवासिनी।