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तीर्थकर पार्श्वनाथ
९. तीर्थंकर पार्श्वनाथ पर उपसर्ग क्यों
सामान्यरूप से तीर्थंकरों पर कोई उपसर्ग नहीं होता है। फिर पार्श्वनाथ पर कमठ के जीव द्वारा उपसर्ग क्यों हुआ? संभवत: इसका कारण काल का दोष है। वर्तमान में हुण्डापसर्पिणी काल चल रहा है। असंख्यात उत्सर्पिणी और अवसर्पिणी काल के बीत जाने पर एक बार हुण्डापसर्पिणी काल आता है। इस काल में कुछ ऐसी अनहोनी बातें होती हैं जो सामान्य रूप से कभी नहीं होतीं। जैसे तीर्थंकरों पर उपसर्ग कभी नहीं होता है, परन्तु पार्श्वनाथ पर उपसर्ग हुआ। तीर्थंकरों के पुत्री का जन्म नहीं होता है, फिर भी ऋषभनाथ के ब्राह्मी और सुन्दरी नामक दो पुत्रियों का जन्म हुआ। इत्यादि और भी कई बातें हैं जो हुण्डापसर्पिणी काल के प्रभाव से घटित हुई हैं। और तीर्थंकर पार्श्वनाथ पर उपसर्ग भी एक ऐसी ही घटना है।
• १०. सर्पफण युक्त मूर्तियों का औचित्य
तीर्थंकर पार्श्वनाथ की अधिकांश मूतियाँ सर्प-फणमण्डप युक्त हैं। किन्तु कुछ मूर्तियाँ सर्पफण रहित भी उपलब्ध होती हैं। यहाँ उल्लेखनीय बात यह है कि तीर्थंकरों की जो मूर्तियाँ प्रतिष्ठित होकर मन्दिरों में विराजमान की जाती हैं वे केवल ज्ञान अवस्था अथवा अर्हन्त अवस्था को प्राप्त तीर्थंकरों की होती हैं। किन्तु धरणेन्द्र ने ध्यानस्थ पार्श्वनाथ के ऊपर जो फणामण्डप बनाया था वह ध्यानस्थ अवस्था के समय की बात है। परन्तु कमठ के जीव द्वारा किये गये उपसर्ग के दूर हो जाने पर तथा शम्बर देव द्वारा पार्श्वनाथ के चरणों में नमस्कार करने और अपने अपराधों की क्षमायाचना करने के बाद धरणेन्द्र ने पार्श्वनाथ के ऊपर से स्वनिर्मित फणामण्डप को भी हटा लिया होगा। उसी के बाद फणामण्डप रहित अवस्था में पार्श्वनाथ को केवलज्ञान उत्पन्न हुआ था। अत: केवल ज्ञान सहित अथवा अर्हन्त अवस्था को प्राप्त पार्श्वनाथ की मूर्ति में फणामण्डप बनाने का कोई औचित्य प्रतीत नहीं होता है। वास्तव में फणामण्डप युक्त मूर्ति की प्रतिष्ठा नहीं होनी चाहिए। लेकिन फणामण्डप में आसक्ति के