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________________ तीर्थंकर पार्श्वनाथ - कुछ विचारणीय बिन्दु ३. पार्श्वनाथ और कमठ का वैर पार्श्वनाथ के जन्म के पूर्व नौ भवों से पार्श्वनाथ के जीव और कमठ के जीव में वैर चलता रहा। वैर का प्रारंभ इस प्रकार हुआ। पोदनपुर नामक नगर में विश्वभूति नामक एक शास्त्रज्ञ ब्राह्मण रहता था। कमठ और मरुभूति नामक उसके दो पुत्र थे। कमठ की पत्नी का नाम वरुणा था और मरुभूति की पत्नी का नाम वसुंधरा था। कमठ दुराचारी और पापी था। इसके विपरीत मरुभूति सदाचारी और धर्मात्मा था। मरुभूति की पत्नी वसुंधरा के निमित्त से उन दोनों सहोदर भाइयों के बीच एक ऐसी घटना घटित हुई जिसके कारण कमठ ने अपने छोटे भाई मरुभूति को मार डाला। इसी घटना के कारण कमठ और मरुभूति के जीवों में वैर प्रारंभ हो गया। पाप कर्म के कारण कमठ का जीव अनेक दुर्गतियों में भ्रमण करता हुआ ग्यारहवें भव में शम्बर नामक ज्योतिषी देव हुआ। और मरुभूति का जीव अपने पुण्य कर्म के कारण अनेक सुगतियों में उत्पन्न होकर दसवें भव में पार्श्वनाथ हुए। . कमठ का जीव कमठ की पर्याय के बाद सर्प हुआ, फिर नरक गया। तंदनन्तर अजगर हो कर नरक गया, फिर भील होकर नरक गया। तदनन्तर सिंह हो कर नरक गया। इसके बाद महीपाल नामक तापस होकर ग्यारहवें भव में शम्बर नामक ज्योतिषी देव हुआ। मरुभूति का जीव मरकर हाथी हुआ, फिर स्वर्ग में देव हुआ, वहां से आकर विद्याधर हुआ, फिर स्वर्ग में देव हुआ। तदनन्तर स्वर्ग से आकर वज्रनाभि चक्रवर्ती राजा हुआ.। इसके बाद ग्रैवेयक में अहमिन्द्र हुआ। फिर वहां से आकर आनन्द नामक राजा हुआ। तदनन्तर आनत स्वर्ग में इन्द्र हुआ और वहां से च्युत होकर दसवें भव में पार्श्वनाथ हुए। इन सभी भवों में पार्श्वनाथ के जीव और कमठ के जीव में वैर चलता रहा। ४. पार्श्वनाथ के जीवन से सम्बन्धित घटनायें .... भगवान पार्श्वनाथ के जीवन से सम्बन्धित कुछ घटनाओं का वर्णन पार्श्वनाथ के एक हजार वर्ष बाद हुए आचार्य समन्तभद्र ने सर्वप्रथम
SR No.002274
Book TitleTirthankar Parshwanath
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshokkumar Jain, Jaykumar Jain, Sureshchandra Jain
PublisherPrachya Shraman Bharti
Publication Year1999
Total Pages418
LanguageSanskrit, Hindi, English
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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