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________________ तीर्थंकर पार्श्वनाथ : कुछ विचारणीय बिन्दु - पं. उदयचन्द्र जैन* १. काल विचार प्रचलित जैन परम्परा के अनुसार पार्श्वनाथ तेईसवें तीर्थंकर हैं। कुछ जैन विद्वानों के अनुसार पार्श्वनाथं के निर्वाण के बाद २५० वर्ष बीत जाने पर भगवान् महावीर का जन्म हुआ था। यदि भगवान् महावीर का जन्म ईसा पूर्व ५९९ में मान्य है तो पार्श्वनाथ का निर्वाण ईसापूर्व ८४९ में और जन्म ९४९ में सिद्ध होता है। इस हिसाब से पार्श्वनाथ के जन्म के वर्ष से इस समय २९४६ वर्ष बीत चुके हैं और तीन हजार वर्ष पूरे होने में अभी ५४ वर्ष शेष हैं। तथा इस समय पार्श्वनाथ के निर्वाण के पश्चात् २८४६ बर्ष हो गये हैं। . . एक विद्वान डॉ. एच. सी. राय चौधरी ने Political History of India (P.97) में लिखा है कि पार्श्वनाथ का जन्म ईसापूर्व ८७७ में और निर्वाण ईसापूर्व ७७७ में हुआ था। इनके मत के अनुसार पूर्वोक्त जन्मवर्ष और निर्वाण वर्ष में ७२ वर्ष का अन्तर प्राप्त होता है। आचार्य यतिवृषभ ने तिलोयपण्णत्ति नामक ग्रन्थ के चतुर्थ अधिकार में लिखा है कि पार्श्वनाथ भगवान् महावीर के २७८ वर्ष पहले हुए थे। इस मत के अनुसार भी यही सिद्ध होता है कि पार्श्वनाथ का जन्म ईसापूर्व ८७७ में और निर्वाण ईसापूर्व ७७७ में हुआ था। आचार्य यतिवृषभ के मत के अनुसार पार्श्वनाथ के जन्म वर्ष से तीन हजार वर्ष पूरे होने में अभी १२६ वर्ष शेष हैं। _ आचार्य गुणभद्र का मत भी ऐसा ही है। उनके अनुसार पार्श्वनाथ के .. निर्वाण के २५० वर्ष के बाद महावीर का निर्वाण हुआ था। उन्होंने ... उत्तरपुराण में लिखा है - * सर्वदर्शनाचार्य, वाराणसी
SR No.002274
Book TitleTirthankar Parshwanath
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshokkumar Jain, Jaykumar Jain, Sureshchandra Jain
PublisherPrachya Shraman Bharti
Publication Year1999
Total Pages418
LanguageSanskrit, Hindi, English
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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