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________________ ३१९ भगवान पार्श्वनाथ की मूर्तियों का वैशिष्ट्य भगवान् पार्श्वनाथ का निर्वाण क्षेत्र है जहाँ भ. पार्श्वनाथ टोंक पर उनकी दिव्य मूर्ति प्रतिष्ठित है। मध्य प्रदेश - गोपाचल (ग्वालियर) की विशाल पद्मासन पार्श्वनाथ भगवान् की मूर्ति, खजुराहो में सं. १९१७ में प्रतिष्ठित भ. पार्श्वनाथ, बजरंगगढ़ (गुना) में श्री झीतू शाह द्वारा निर्मित मंदिर में भ. पार्श्वनाथ, चन्देरी में निर्मित चौबीसी में (जहाँ प्रत्येक तीर्थंकर की वर्ण के अनुसार मूर्ति है) लाला सवाई सिंह द्वारा संवत् १८९३ में सोनागिरि के भट्टारक हरिचंद के निर्देशन में प्रतिष्ठित भ. पार्श्वनाथ, रेशन्दीगिरी (नैनागिरी) जहाँ भ. पार्श्वनाथ का समवशरण आया था, यहाँ सं. २४७८ में प्रतिष्ठित भूरे पाषाण की १६ फुट उत्तुंग खड़गासन प्रतिमा विराजमान है। पिसनहारी की मढ़ियाजी में वर्णानुसार वि.सं. ९५९ में प्रतिष्ठित भ. पार्श्वनाथ, विदिशा से ३ कि.मी. दूर स्थित उदयगिरि अतिशय क्षेत्र पर प्राकृतिक गुफा नं. २० में सन् ४२६ ईसवी में गुप्तकाल में श्रेष्ठि शंकर द्वारा निर्मित करायी गयी भ. पार्श्वनाथ की मूर्ति है। मक्सी क्षेत्र तो पार्श्वनाथ के कारण है। अत्यन्त श्रद्धा का केन्द्र बना हैं। पिछोर संग्रहालय में छठी शताब्दी ई. पू. में करन्दक नरेश द्वारा स्थापित दो पार्श्वनाथ की प्रतिमायें संग्रहीत हैं। तमिलनाडु . . . ... तमिलनाडु में भी भ. पार्श्वनाथ के प्रति विशेष भक्ति रही है। कांचीपुरम्, तिरुनर कोंड्रम अतिशय क्षेत्र में भ. पार्श्वनाथ की प्राचीन मूर्तियां हैं। ... मेलसिरैमूर अतिशय क्षेत्र में पार्श्वनाथ प्रभु की मूर्ति पीठ सहित चाँदी की है ऐसी मूर्ति विश्व में अन्यत्र नहीं है। नगरम् नेत्तपाक्म अतिशय क्षेत्र में धातु की विशाल प्रतिमा भ. पार्श्वनाथ की है। पुंडी, नरकोइल में अष्ट प्रतिहार्य और यक्ष-यक्षिणी सहित साक्षात् गन्धकुटी का स्मरण दिलाने वाली पार्श्व प्रभु की मूर्ति, तिरुनारं कोन्ड्रम अतिशय क्षेत्र पर गुफा द्वार के आगे
SR No.002274
Book TitleTirthankar Parshwanath
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshokkumar Jain, Jaykumar Jain, Sureshchandra Jain
PublisherPrachya Shraman Bharti
Publication Year1999
Total Pages418
LanguageSanskrit, Hindi, English
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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