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तीर्थंकर पार्श्वनाथ
XXXV की मूर्तियां, लक्षण और वैशिष्ट्य' विषय पर आलेख पढ़ा एवं स्लाइड्स-प्रोजेक्टर के माध्यम से लन्दन एवं भारतीय म्युजियम्स तथा गुफाओं में उपलब्ध भ. पार्श्वनाथ की मूर्तियों को दिखाकर उनकी विशेषताओं से रूबरू अवगत कराया। __चतुर्थ आलेख वाचक के रूप में डॉ. शैलेन्द्र कुमार रस्तोगी (लखनऊ) ने 'माथुरी शिल्प में तीर्थंकर पार्श्वनाथ का दुर्लभ चित्रांकन' विषय पर आलेख पाठ कर माथुरी शिल्प में निर्मित तीर्थंकर पार्श्वनाथ
की प्राचीन मूर्तियों एवं उनकी विशेषताओं के विषय में जानकारी दी तथा प्रोजेक्टर-स्लाइड्स के माध्यम से कुषाणकालीन मूर्तियां जो मथुरा से प्राप्त हुई हैं; उन्हें दिखाया और विस्तृत जानकारी दी। पंचम आलेख डॉ. जिनेश्वर दास जैन (जयपुर) द्वारा 'कम्बोडिया में अंगकोरवाट के पंचमेरू मन्दिर' विषयक आलेख पढ़ा एवं सम्बन्धित चित्र दिखाये किन्तु आलेख पाठक के मत से विद्वान सहमत नहीं हुए। सभान्त में श्री नीरज जैन (सतना) ने अपना अध्यक्षीय वक्तव्य दिया और पठित आलेखों की समीक्षा की।
. सप्तम सत्र
दि. २१.१०.९७ (प्रातः) __ . परम पूज्य आध्यात्कि संत उपाध्याय श्री ज्ञानसागर जी महाराज एवं परमपूज्य मुनि श्री वैराग्यसागर जी महाराज के मंगल सानिध्य में श्री दि: जैन जम्बूस्वामी सिद्धक्षेत्र चौरासी मथुरा (उ.प्र.) में श्री गणेशवर्णी द्वारा संयोजित 'तीर्थंकर पार्श्वनाथ राष्ट्रीय संगोष्ठी' का यह समापन सत्र श्रीमान् डा. देवेन्द्र कुमार जैन (नीमच) की अध्यक्षता एवं डॉ. प्रेमचन्द जैन (नजीबाबाद) के संयोजकत्व में श्री पं. मुन्ना लाल जैन (ललितपुर) के द्वारा मंगलाचरण से प्रारम्भ इस सत्र में डॉ. सीमा जैन (जबलपुर) ने 'ऐतिहासिकता के क्रम में भ० पार्श्वनाथ की भूमिका' विषय पर आलेख पाठ करते हुए भ० पार्श्वनाथ के वृहत, अनुयायियों, तीर्थों, साहित्य,