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________________ २८० - तीर्थंकर पार्श्वनाथ वाराणसी में ब्राह्मण कुमार कमठ और कुछ तापसी बालक लकड़ी जला रहे थे इनके पास जाकर बोले कि इन लक्कड़ों को जला कर क्यों जीव हिंसा करते हो यह सुनकर तापसी झल्लाये और बोले - कहां है जीव? तब कुमार ने तापसी के पास से कुल्हाड़ी उठा कर ज्यों ही जलती लकड़ी को चीरा तो उसमें से नाग-नागिन का जलता हुआ जोड़ा निकला। तब से पार्श्व उदास रहने लगे। “घोरोपसर्ग विजविन जिन पार्श्वनाथ” जब ये घोर तप रत थे तभी ऊपर से उनके पूर्व जनम का बैरी कमठ कहीं जारहा था देखते ही उसका पूर्व संचित वैर भाव भड़क उठा वह इनके ऊपर ईटों और पत्थरों की वर्षा करने लगा। जब इससे पार्श्व विचलित न हए तों मूसलाधार जलवृष्टि की। ऐसे घोर उपसर्ग के समय नाग नागिन पाताल लोक में धरणेन्द्र और पद्मावती हुये थे वे अपने उपकारी के ऊपर उपसर्ग हुआ जानकर तुरन्त आये। धरणेन्द्र ने सहस्त्र कण वाले सर्प का रूप धारण कर पार्श्व पर फनाटोक कर दिया और पद्मावती ने उनपर छवं लगा दिया। इस कमठ उपसर्ग का वर्णन दिगम्बर एवं श्वेताम्बर दोनों ही ग्रन्थों तिलोयपण्णति, उत्तरपुराण, पासणाहचरिउ, त्रिशतिशलाकापुरुष चरित, उत्तरपुराण श्री पार्श्वनाहचरियम, पार्श्वनाथ चरित्र एवं कल्याण मंदिर स्तोत्र में वर्णित पाते हैं। अनभिलिखित अंकन - पद्मावती एवं धरणेन्द्र के मध्य पार्श्व लाल चित्तीदार वाले पत्थर पर सात फणों के नीचे भगवान् पार्श्वनाथ को कायोत्सर्ग मुद्रा में निर्वस्त्र दर्शाया गया है (चित्र-१)। दांयी ओर मुकुटधारी धरणेन्द्र सप्तफण के नीचे पार्श्वनाथ की ओर निहारते - दिववीक्षणतत्पर' खड़े हैं। बांई ओर महारानी पद्मावती सर्प फणं के नीचे उठाये हुए छत्र का दंड लिए दर्शायी गयी हैं। यूं तो अहिच्छत्रा (सातवीं शती, भारतीय कला संग्रहालय कलकत्ता), एहोल (सातवीं शती), बादामी (नवीं शती) तथा विशेष उल्लेखयोग पारसपुर मध्य प्रदेश की नवीं शती की मूर्ति विक्टोरिया अलबर्ट म्यूजियम में एन.आई.एस. १८-१५५६ है .एवं एलोरा १०वी शती में इस कथानक को दर्शाया हुआ पाते हैं। किन्तु मथुरा से प्राप्त पार्श्व पद्मावती एवं धरणेन्द्र युक्त अंकन लगभग तीसरी शती
SR No.002274
Book TitleTirthankar Parshwanath
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshokkumar Jain, Jaykumar Jain, Sureshchandra Jain
PublisherPrachya Shraman Bharti
Publication Year1999
Total Pages418
LanguageSanskrit, Hindi, English
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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