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________________ २६८ तीर्थंकर पार्श्वनाथ दक्षिण पार्श्व में एक पुरुष तथा वाम पार्श्व में सर्पफणों से युक्त छत्रधारिणी सेविका निरूपित हैं। यह धरणेन्द्र-पद्मावती का प्रारम्भिक अंकन है। सात सर्पफणों के छत्र वाली पुरातत्व संग्रहालय, मथुरा (क्रमांक १८.१५०५) की छठी शती ई. की एक ध्यानस्थ मूर्ति में भी पार्श्वनाथ के दोनों ओर सर्पफण के छत्र वाली धरणेन्द्र-पदमावती की आकृतियां उकेरी हैं। धरणेन्द्र के हाथ में चामर और पद्मावती के हाथ में छत्र हैं। नचना से प्राप्त और तुलसी संग्रहालय, रामवन में सुरक्षित पांचवीं शती ई. की मनोज्ञ ध्यानस्थं मूर्ति में सात सर्पफणों के छत्र वाले पार्श्वनाथ के दोनों ओर चामरधारी सेवक रूपायित हैं। अकोटा से पार्श्वनाथ की सातवीं शती ई. की आठ श्वेताम्बर मूर्तियां मिली हैं जिनमें से एक में ही पार्श्व कायोत्सर्ग में खड़े हैं और मूर्ति की पीठिका पर द्विभुजी नाग-नागी की अर्धसर्पाकार मूर्तियां बनी हैं, जो वस्तुत: : पार्श्व यक्ष और पद्मावती यक्षी की आकृतियां हैं। इनका एक हाथ अभय-मुद्रा में है और दूसरे में सम्भवत: फल हैं। अकोटा की अन्य ध्यानस्थ मूर्तियों में यक्ष-यक्षी सर्वानुभूति और अम्बिका हैं और पीठिका पर आठ ग्रहों का भी अंकन हुआ है। ओसियां के बलानक (जोधपुर, राजस्थान - १०१९ ई.) एवं विमल वसही (सिरोही राजस्थान - १२वी शती ई.) की पार्श्वनाथ की दो ध्यानस्थ श्वेताम्बर मूर्तियों में पारम्परिक यक्ष-यक्षी-पार्श्व और पद्मावती का अंकन मिलता है। ओसियां की मूर्ति में द्विभुज यक्ष-यक्षी सर्पफणों वाले हैं। विमलवसही की देवकुलिका ४ की ध्यानस्थ मूर्ति (११८८ ई.) में सात सर्पफणों के साथ ही पीठिका लेख में पार्श्वनाथ का नाम भी दिया है। कूर्म पर आरुढ़ एवं तीन सर्पफणों के छत्र वाले चतुर्भुज पार्श्व यक्ष को निर्वाणकलिका (१८.२३) के अनुरूप गजमुख दिखाया गया है जो ब्राह्मण परम्परा के गणेश का स्मरण कराता है। यक्ष के करों में परम्परानुरूप सर्प, सर्प एवं धन के थैले के साथ ही मोदक-पात्र भी प्रदर्शित हैं। श्वेताम्बर शिल्पशास्त्रों में मोदकपात्र का अनुलेख है और यह सीधे यक्ष के गज मुख होने और इस प्रकार गणेश से सम्बन्धित होने का प्रतिफल है। तीन
SR No.002274
Book TitleTirthankar Parshwanath
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshokkumar Jain, Jaykumar Jain, Sureshchandra Jain
PublisherPrachya Shraman Bharti
Publication Year1999
Total Pages418
LanguageSanskrit, Hindi, English
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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