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तीर्थंकर पार्श्वनाथ भक्ति गंगा - के आलोक में भगवान् पार्श्वनाथ
जैसे वज्र परबत परहार, • तुम नाम मंत्र हो विषापहार।। नाग-दमण तुम नाग सहाय, ...विषधर विष नासन राय। तुम सुमरै भव जो चित लाय, __ विष पीवे अमृत हो जाय । नाम सुधार सब रणै जहाँ, ___पाप पंक मल नासै तहाँ। जैसे पारस वैसे लोह, .
तुम गुनत कंचन-सम होहि. ।३६ __और भी सिद्धियां पार्श्वनाम जपने, स्मरण करने से आती हैं। 'मनराम' कहते हैं कि :
पारस प्रभु तुम नाम जो सुमरे मन-वच-काय ।
बास पित्त कफ रोग सब छिन में जॉय पलाय।। • त्वं नाम मंत्र भूतादिक. व्यंतर नासे।
त्वं नाम मंत्र नहिं संपत्ति संग त्यागे ।। त्वं नाम मंत्र सेवत ही सिधि दासी। त्वं नाम मंत्र आत्म अनुभव अभ्यासी।। त्वं नाम मंत्र चिंतामणि रतन स्वामी।
त्वं नाम मंत्र ध्यावत होइ सुर्गगामी।। . त्वं नाम मंत्र प्रभु पासं जगत विष्याता।
त्वं नाम मंत्र प्रभु पार्स मोक्ष दाता।। भवसागर अति ही गहर, नाना दुख जल मांहि। प्रभु तुम नाम जहाज बिन, आनि सरण कोई नाहिं ।२७
दौलतराम जी कहते हैं कि उनके नाम-मंत्र का जाप करने से पापों का नाश होता है -