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तीर्थकर पार्श्वनाथ
परिग्रह नहीं, वह चिंतित नहीं रहता। इसलिए जितनी आवश्यकता है, उससे ज्यादा परिग्रह नहीं करना चाहिए।"
बीस सितम्बर को नवभारत टाइम्स ने 'क्षमावाणी अंतस् की कालिमा को धोने का पर्व' शीर्षक से लिखा "मेरा सभी पर क्षमाभाव है, मेरा सभी से मैत्री भाव है, किसी से बैर नहीं है, ऐसी भावना पल-प्रतिपल भाना चाहिए।" 22 सितम्बर को आज ने "अच्छे कार्यों में विघ्न डालना उचित नहीं" शीर्षक से उपाध्यायश्री के प्रवचनांश को प्रकाशित किया। 23 सितम्बर को नवभारत टाइम्स ने लिखा "उपाध्यायश्री ने कहा कि जिन्होंने क्षमावाणी पर्व पर अंतस् की ग्रंथियों को तोड़ दिया, उन्हीं का क्षमावाणी पर्व मनाना सार्थक है। क्षमा आत्मा का स्वभाव है। क्रोध रूपी कषाय ने इसे धूमिल कर दिया है। 26 सितम्बर को नवभारत टाइम्स ने लिखा "पुरुषार्थ के बल पर मानव सब कुछ प्राप्त कर सकता है। संसार के कार्यों में तो यह जीव पुरुषार्थ करता है लेकिन जब आध्यात्मिक पुरुषार्थ की चर्चा चलती है तो वह समय न होने का बहाना बना लेता है।"
. जैन चौरासी मंदिर में 28 सितम्बर को हुए शाकाहार सम्मेलन और प्रदर्शनी के बारे में क्षेत्र के सभी अखबारों ने विस्तृत खबरें छापी। इस सम्मेलन में देश के विभिन्न हिस्सों से आए विद्वानों ने भाग लिया। 'अमर उजाला' तथा 'आज' ने इस समाचार को चार कालम स्थान दिया। समारोह में उपाध्यायश्री के प्रवचनों तथा जीवन आदर्शों पर आधारित चार पुस्तकों का विमोचन भी हुआ। अमर उजाला ने लिखा "जब मनुष्य की सोच विकृत हो जाती है तो उसका विवेक से नाता टूट जाता है। उपाध्यायश्री ने कहा कि विवेकहीनता मनुष्य के सम्पूर्ण जीवन को नष्ट कर देती है और व्यक्ति स्वछंद हो जाता है।"
इस दौरान दस दिवसीय सराक प्रशिक्षण को लेकर भी कई खबरें विभिन्न अखबारों में प्रकाशित हुई। “पार्श्वनाथ ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक