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तीर्थंकर पार्श्वनाथ
इंद्रिय के विषयों से उत्पन्न सुख आभास मात्र है, क्षणिक सुख है, स्थायी सुख प्राप्त करने के लिये आत्मा की ओर दौड़ लगानी पड़ती है।" इस दिन अमर उजाला ने भी "सुख का फल प्राप्त करने को सुख के बीज बोएं" शीर्षक से उपाध्याय श्री के प्रवचनांश प्रकाशित किए।
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पर्युषण पर्व के उपलक्ष्य में 'आज' ने 'सदाचार खो जाने पर मनुष्य का सब कुछ लुट जाता है" शीर्षक से चार कालम में विस्तृत समाचार प्रकाशित किया। उपाध्यायश्री ने कहा कि " आज मानव का अंत:करण रूपी क्षेत्र राग-द्वेष-मोहह-मत्सर-काम-क्रोध-लोभ आदि की गर्मी से संतप्त होकर शुष्क बन गया है।" इन विकारों को साफ करने के बाद ही अंत:करण में सद्गुण रूपी बीज अंकुरित होकर पनप सकते हैं। अंत:करण रूपी क्षेत्र हरा-भरा हो पर्यूषण पर्व यही संदेश लेकर आए हैं।'' इस खबर ने महाराजश्री के मुख से प्रशांत मूर्ति आचार्य शांतिसागर जी छाणी के जीवन दर्शन पर भी प्रकाश डाला।
अमर उजाला ने 18 सितम्बर को " जीवन में क्रोध के बजाय क्षमा को स्थान दें' और इसी तारीख में नवभारत टाइम्स ने " चारित्रिक विकास से ही मानव का कल्याण" खबरें प्रकाशित कीं। जैन गजट ने महाराजश्री की प्रेरणा से राज्य स्तर पर 10वीं तथा 12वीं के मेधावी छात्र - छात्राओं को सम्मानित किए जाने के कार्यक्रम के संबंध में 11 सितम्बर को विवरण प्रकाशित किया। मथुरा और बृज क्षेत्र के तीन सर्वाधिक बिकने वाले अखबारों अमर उजाला, दैनिक जागरण और आज में महाराजश्री से संबंधित खबरें प्रकाशित करने में एक तरह की प्रतियोगिता चल रही थी। अपवादस्वरूप ही ऐसा कोई दिन जाता होगा जब इन अखबारों में चातुर्मास संबंधी कोई खबर प्रकाशित न हुई हो । आज ने 19 सितम्बर को " क्षमावाणी पर्व अंतस् की कालिमा धोने को ' तथा 20 सितम्बर को 'दुःख के क्षणों में खेद नहीं होना चाहिए" शीर्षक से समाचार प्रकाशित किए। अखबार ने लिखा " जिसके पास जितना अधिक परिग्रह होता है, वह उतना ही भयभीत रहता है जिसके पास
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