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________________ अपभ्रंश साहित्य में पार्श्वनाथ १४५ आधुनिक भारतीय दार्शनिकों के उपर्युक्त उद्गारों से सिद्ध है कि भगवान् पार्श्वनाथ एक ऐतिहासिक महापुरुष हैं । इनको ऐतिहासिक महापुरुष मानने का कारण यह भी है कि हमारे शास्त्रों में भगवान् पार्श्वनाथ के पूर्ववर्ती तीर्थकरों की तरह इनके जन्मादि का कल्पनातीत संख्या में वर्णन नहीं किया गया है। आचार्य यतिवृषभ, गुणभद्र प्रभृति ने बुद्धिग्राह्य संख्या में पार्श्वनाथ के संबंध में कथन किया है। जैसे यतिवृषभ ने कहा है कि भगवान् नेमिनाथ के जन्म के ८४६५० वर्ष बीतने के पश्चात् भगवान् पार्श्वनाथ का जन्म हुआ था, और पार्श्वनाथ के उत्पन्न होने के २७८ वर्ष बीतने के बाद भगवान् महावीर का जन्म हुआ था एवं इनकी आयु १०० वर्ष की थी और ये ९ हाथ प्रमाण शरीर वाले थे । भारतीय विद्वानों की तरह पाश्चात्य मनीषियों ने भी भगवान् पार्श्वनाथ को महापुरुष मानकर उनकी ऐतिहासिकता सिद्ध की है। इस सम्बन्ध में प्रो. प्रफुल्ल कुमार मोदी का कथन है कि 'पार्श्वनाथ के जीवन की इन्हीं घटनाओं को सामने रखकर विद्वानों ने पार्श्वनाथ के संबंध में अन्वेषण कार्य किया है। जिसके फलस्वरूप अब यह निश्चित है कि पार्श्वनाथ एक ऐतिहासिक व्यक्ति थे । यह सिद्ध करने का श्रेय जेकोबी को है। उन्हों ने एस.बी. इ. के ४५ वें ग्रन्थ की भूमिका के ३१ से ३५वें पृष्ठों पर इस संबंध में कुछ सबल प्रमाण दिये हैं, जिनके कारण इस संबंध में अब किसी विद्वान को शंका नहीं रह गई है। डॉ. जेकोबी के अतिरिक्त अन्य विद्वानों ने भी इस विषय में खोजबीन की है और अपना मत प्रस्तुत किया है। इन विद्वानों में से प्रमुख हैं कौलबुक, स्टीवेन्सन, एडवर्ड टामस, डॉ. बेलवेकर, दास गुप्ता, डॉ. राधा कृष्णन, शार्पेन्टियर, गेरीनोट, मजूमदार, ईलियट तथा पुसिन॰।’ इस प्रकार इतिहास प्रसिद्ध और विराट व्यक्तित्व के महार्णव भगवान् पार्श्वनाथ की जीवनगाथा विभिन्न कालों में विभिन्न भाषाओं में रच कर मनीषी चिन्तकों ने अपनी श्रद्धा प्रकट की है। पार्श्वनाथ के जीवन से आकर्षित होकर अपभ्रंश भाषा में विक्रम की दसवीं शताब्दी से लेकर सोलहवीं शताब्दी तक पुराण, काव्य, स्तोत्र आदि लिखे जाते रहे हैं। इनके
SR No.002274
Book TitleTirthankar Parshwanath
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshokkumar Jain, Jaykumar Jain, Sureshchandra Jain
PublisherPrachya Shraman Bharti
Publication Year1999
Total Pages418
LanguageSanskrit, Hindi, English
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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