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________________ ६६ तीर्थंकर पार्श्वनाथ बताते हैं तो जिनका तीन पीढ़ियों से मंडलगढ़ दुर्ग से संबंध है, वे सीयक पौत्र लक्ष्मण का और पं. आशाधरजी के पिता लक्ष्मण का एकत्व मानने में बाधा नहीं आती। यहां यह उल्लेखनीय है कि पं. आशाधरजी का जन्म मंडलगढ़ दुर्ग में हुआ था जो बिजौलिया से मात्र ३७ किलोमीटर दूर है और बिजौलिया के शिलालेखों में मंडलगढ़ का एवं वहां की शासक परम्परा का जिक्र कई जगह आया है। आशाधरजी का जन्म सं. १२३० माना गया है और लोलार्क श्रेष्ठी ने पार्श्वनाथ मूर्ति की प्रतिष्ठा सं. १२२६ में कराई थी। . ___ बिजौलिया के मंदिर का जीर्णोद्धार और प्रतिष्ठा कराने वाले श्रेष्ठि लोलार्क ने उन दिनों अनेक जगह मूर्ति स्थापित कराई थी इसके प्रमाण भी यत्र-तत्र मिलते हैं। मंडलगढ़ दुर्ग में जो नेमिजिन चैत्यालय सं. ११४१ में प्रतिष्ठित है उस चैत्यालय में एक मूर्ति पर प्रशस्ति में लिखा है कि लोलार्क का संबंध मंडलगढ़ के राजघराने से था और वहां उनका आना-जाना भी था। बिजौलिया के शिलालेख में यह भी अंकित है कि उज्जैन के परमारों की एक शाखा का राज्य ही मंडलगढ़ दुर्ग में चलता था और लोलार्क तो उज्जैन के निवासी थे ही। लोलार्क की वंश परम्परा में मूर्ति प्रतिष्ठा को अधिक महत्व दिया जाता था। आहारजी क्षेत्र में लोलार्क के चाचा दुद्द द्वारा सं. १२१० में प्रतिष्ठित मूर्ति विराजमान है। स्वयं लोलार्क द्वारा माघ सुदी ५ सं. १२१५ को अतिशय क्षेत्र खुजराहो में मूर्ति प्रतिष्ठित कराई गई थी। लालार्क के पत्र जसो का नाम बिजौलिया के पार्श्वनाथ मंदिर के द्वार पर उत्कीर्ण है तथा अचलपुर (महाराष्ट्र) में सं. १२६२ में प्रतिष्ठित मूर्ति पर भी उसका नाम है। अतीत में भगवान पार्श्वनाथ को पिछले अनेक भवों में कमठ के जीव के उपसर्गों का सामना करना पड़ा था तो वर्तमान में भी पार्श्वनाथ से संबंधित अनेक तीर्थों पर विवाद चल रहे हैं। श्री सम्मेदशिखर, अंतरिक्ष पार्श्वनाथ, मक्सीजी, अणिन्दा पार्श्वनाथ, अंदेश्वर पार्श्वनाथ आदि .अनेक क्षेत्र इसके प्रमाण हैं। कहीं दिगम्बर-श्वेताम्बर सम्प्रदाय के बीच विवाद हैं, कहीं अन्य मतावलम्बियों से विवाद है. कहीं दिगम्बर सम्प्रदाय में ही
SR No.002274
Book TitleTirthankar Parshwanath
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshokkumar Jain, Jaykumar Jain, Sureshchandra Jain
PublisherPrachya Shraman Bharti
Publication Year1999
Total Pages418
LanguageSanskrit, Hindi, English
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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