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________________ ६४ तीर्थंकर पार्श्वनाथ · जब उपाध्याय थे बिजौलिया क्षेत्र पर एक किताब भी लिखी थी जो सन् १९९४ में प्रकाशित हुई है। यद्यपि १४८ पृष्ठ की इस किताब के १०० पृष्ठों में भगवान् पार्श्वनाथ का चरित्र, समवशरण का वर्णन और विभिन्न ग्रंथों से संकलित जिनशासन देवों-देवियों का वर्णन है परन्तु शेष पृष्ठों में क्षेत्र के सम्बन्ध में, वहां की प्राचीन मूर्तियों-शिलालेखों के सम्बन्ध में उपयोगी जानकारी आचार्य महाराज ने संग्रहीत की है। श्रद्धेय पंडित खुशालचंद गोरावाला द्वारा किया गया एक महत्वपूर्ण शिलालेख का हिन्दी अनुवाद भी इस किताब में प्रकाशित है। श्रद्धेय पंडित जगन्मोहनलाल. जी शास्त्री ने भी बिजौलियां क्षेत्र के दर्शन किये थे और “मेरी यात्रा" शीर्षक से एक लेख “जैन-संदेश" के २ दिसंबर १९९१ के अंक में प्रकाशित कराया था जिसमें स्पष्ट लिखा है कि "बिजौलिया वह स्थान है जहां भगवान् पार्श्वनाथ पर बिजलियां बरसाई गई, बड़े-बड़े पाषाण बरसाये गये, कहते हैं वे पाषाण आज भी विशाल शिलाखण्डों के रूप में मंदिर के चारों ओर पड़े हैं। २०० वर्ष पूर्व के शिलालेख में इसे भगवान् पार्श्वनाथ का उपसर्ग स्थान बताया जाना इस बात का सूचक है कि यह प्रसिद्धि केवल काल्पनिक नहीं है किन्तु २०० वर्ष पूर्व भी प्रसिद्धि इस रूप में थी। पंडित जी ने तो इस स्थान की एक और महत्ता अपने लेख में प्रतिपादित की है, उन्होंने लिखा है कि प्राचीन शिलालेख में अंकन समय फाल्गुन सुदी ३ वि. सं. १०८३ पढ़ने में आया है और शिलालेख में भट्टारक महाराज की जो गुरुवावली अंकित है वह “श्रावकाचार सारोद्धार" ग्रंथ के रचयिता भट्टारक पद्मनंदिजी की प्रशस्ति से मिलती है, अत: बिजौलिया भगवान् पार्श्वनाथ के उपसर्ग तथा ज्ञान कल्याणक का साधन तो है ही साथ ही पद्मनन्दि आदि भट्टारकों का समाधि स्थल होने से प्रामाणिक ऐतिहासिक स्थान भी हैं। शिलालेखों के अनुसार यहां के प्राचीन मंदिरों का जीर्णोद्धार उज्जैन के धर्मनिष्ठ श्रेष्ठी लोलार्क ने कराया था। वे जब अपनी यात्रा के मध्य बिजौलिया में सो रहे थे, तब किसी ने उन्हें स्वप्न में कहा था कि यहां
SR No.002274
Book TitleTirthankar Parshwanath
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshokkumar Jain, Jaykumar Jain, Sureshchandra Jain
PublisherPrachya Shraman Bharti
Publication Year1999
Total Pages418
LanguageSanskrit, Hindi, English
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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