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________________ तीर्थंकर पार्श्वनाथ की ऐतिहासिकता तथा अपभ्रंश - साहित्य विषयक उल्लेख ५९ ५. पार्श्वनाथचरित्र - बुह असवाल, १३ सन्धियों में निबद्ध, र.का.वि.सं. . १४७९ ६. पार्श्वनाथचरित - कवि तेजपाल, र.का.सं.१५१५ । . ७. पार्श्वपुराण - पं. रइधू - ७ सन्धियों में निबद्ध, १५वीं शताब्दी। . इनके अतिरिक्त महाकवि पुष्पदन्त के “महापुराण" की ९३-९४ इन दो सन्धियों में निबद्ध कमठ और पार्श्वनाथ का वृत्त उपलब्ध होता है जो पौराणिक शैली में लिखा हुआ है। . “भारतीय ज्ञानपीठ" से शीघ्र ही महापुराण भा. ५ प्रकाशित होने वाला है जिसमें संक्षिप्त विवरण उपलब्ध होता है। संदर्भ १. अथर्व वेद ९,४,७. २. इपीग्रफिका ऑव इण्डिया १, पृ. ३८९. .३. इण्डियन एन्टिक्वेरी, ३०,२८०. . ४. . मार्शल : मोहन-जोदरो, जिल्द १, पृ. ३३. ५. . ई. जे: रेपसन : द केम्ब्रिज हिस्ट्री ऑव इण्डिया, जिल्द १, १९२२, पृ. १५२. ६. वही, पृ० १५२. . ७. कल्चरल हेरिटेज ऑव इण्डिया, जिल्द १, पृ. २४.
SR No.002274
Book TitleTirthankar Parshwanath
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshokkumar Jain, Jaykumar Jain, Sureshchandra Jain
PublisherPrachya Shraman Bharti
Publication Year1999
Total Pages418
LanguageSanskrit, Hindi, English
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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