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________________ तीर्थंकर पार्श्वनाथ तिलोयपण्णत्ति में वर्मिला (वम्मिला ) ४ तथा श्वेताम्बर ग्रन्थों एवं उत्तरपुराण एवं पुष्पदन्त कृत महापुराण को छोड़कर शेष दिगम्बर ग्रन्थों में वामा आया है। गुणभद्रकृत उत्तरपुराण' तथा पुष्पदन्तकृत महापुराण' में उनकी माता का नाम ब्राह्मी उल्लिखित हुआ है । यह भिन्नता कैसे आई? इसका कोई स्पष्ट कारण प्रतीत नहीं होता है। पार्श्वनाथ का जन्म वाराणसी में हुआ था तथा उनका गोत्र काश्यप था यह बात सभी को एकमत से स्वीकार्य है, किन्तु पार्श्वनाथ का वंश क्या था ? इस विषय में परम्परागत भिन्नता है। श्वेताम्बर परम्परा उन्हें इक्ष्वाकु वंश" का मानती है, जबकि दिगम्बर परम्परा के अनुसार भगवान् पार्श्वनाथ उग्रवंशीय थे । ५० - तिलोयपण्णत्ति में कहा गया है कि भगवान् पार्श्वनाथ का जन्म पौष कृष्णा एकादशी के दिन विशाखा नक्षत्र में हुआ था। सभी विगम्बर परम्परा के पार्श्वनाथ विषयक साहित्य में उनकी यही जन्म- - तिथि उल्लिखितं है। किन्तु श्वेताम्बर परम्परा के कल्पसूत्र अनुसार पार्श्वनाथ का जन्म पौषकृष्ण दशमी की मध्य रात्रि को माना गया है। शीलांककृत 'चउपन्न 'महापुरिसचरियं' में भी यही तिथि स्वीकारते हुए विशाखा नक्षत्र में चन्द्र का योग होने पर उनका जन्म कहा गया है। हेमचन्द्राचार्यकृत त्रिषष्टिशलाका पुरुषचरित में तथा पद्मसुन्दरसूरिकृत श्रीपार्श्वनाथ चरित में भी पौषकृष्ण दशमी को ही पार्श्वनाथ का जन्म माना गया है । स्पष्ट है कि यह मतवैभिन्य कदाचित् तिथि के क्षयाक्षय या रात्रि के मध्यभाग में तिथि की अलग-अलग मान्यता के अनुसार हुआ हो । पार्श्व नाम का कारण बताते हुए आवश्यकनिर्युक्ति, कल्पसूत्र, हेमचन्द्राचार्यकृत त्रिषष्टिशलाका पुरुषचरित तथा पद्मसुन्दरकृत श्रीपार्श्वचरित में कहा गया है कि उनकी माता ने गर्भ काल में अपने पास में एक सर्प को देखा था, अत: उनका नाम पार्श्व रखा गया । गुणभद्राचार्यकृत उत्तरपुराण तथा पुष्पदन्तकृत महापुराण के अनुसार इन्द्र ने बालक का नाम पार्श्व रखा था"। यहाँ पार्श्व नाम रखे जाने का कोई कारण निर्दिष्ट नहीं किया गया है ।
SR No.002274
Book TitleTirthankar Parshwanath
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshokkumar Jain, Jaykumar Jain, Sureshchandra Jain
PublisherPrachya Shraman Bharti
Publication Year1999
Total Pages418
LanguageSanskrit, Hindi, English
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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