SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 87
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (३४) ' ० ॥ एषां समीपेम्बुवृद्धिर्जम्बूद्वीपदिशि स्फुटम् । समभूतलतुल्याम्भोऽपेक्षयोद्धु पयोनिधौ ॥१६६॥ नवोत्तरं योजनानां, शतत्रयं तथोपरि । पञ्च चत्वारिंशदंशाः पञ्चोन शतभाजिताः ॥१७॥ इस समतल भूमि की पानी की सपाटी से इन पर्वतों की जम्बू द्वीप की दिशा तरफ पानी की वृद्धि-पानी की ऊंचाई तीन सौ नौ योजन और पैंतालीस-पंचानवे अंश ३०६- ४५/६५ योजन है । (१६६-१७०) निश्चयः पुनरेतस्य, त्रैराशिकात्प्रतीयते । व्युत्पित्सूनां प्रमोदाय, तदप्यातत्य दश्यते ॥१७१॥ इसका निश्चय त्रिराशि से हो सकता है । विस्तार से जानने की इच्छावाले के आनंद के लिए वह भी हम विस्तारपूर्वक दिखाते हैं । (१७१) .. . यदि पञ्च सहस्रोन लक्षण वर्द्धते जलम् । . योजनानां सप्तशती, तदा तद्वद्धते कियत् ॥१७२॥ द्विचत्वारिंशत्सहस्ररिति राशिवयं लिखेत् । आद्यन्तयोस्तत्र राश्योः कार्यं शून्यापर्वत्तनम् ॥१७३॥ एतयोर्हि द्वयो राश्योः साजात्यादपवर्तनम् । धटते लाघवार्थं च क्रियते गणकैरिदम् ॥१७४॥ मध्यराशिः सप्तशती, द्विचत्वारिंशदात्मना । अत्येन राशिना गुण्यस्तथा चैवंविधो भवेत् ॥१७॥ नूने सहस्राण्येकोनत्रिंशत्पूर्णा चतुःशती । ततः पञ्चनवत्याऽयं, भाज्यः प्रथम राशिना ॥१७६॥ भागे हृते च यल्लब्धं, पानीयं तावदुच्छ्रितम् । जम्बू द्वीपदिश्यमीषां, समीपे तत्पुरोदितम् ॥१७७॥ यदि पंचानवे हजार योजन में सात सौ योजन पानी की ऊंचाई बढ़ती है तो बियालीस हजार योजन में कितना पानी बढ़ता है ? उसकी तीन राशि लिखना । (६५०००-७००-४२०००) इसमें से पहली और अन्तिम राशि की बिन्दु मिटा देना,
SR No.002273
Book TitleLokprakash Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmachandrasuri
PublisherNirgranth Sahitya Prakashan Sangh
Publication Year2003
Total Pages620
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy