________________
(३५)
ये दोनों राशि सजातीय होने से उसके बिन्दु मिटा देना युक्त है और सरलता के लिए गणितज्ञ इस तरह से करते है (६५-७००-४२ ) रहे मध्यराशि जो सात सौ है उसे अंत्यराशि बयालीस से गुणा करने से उन्तीस हजार चार सौ (२६४०० ) आता है, उसे प्रथम की राशि पंचानवे के साथ भाग देना और उससे जो उत्तर आए उतना योजन पानी की ऊंचाई जम्बूद्वीप की दिशा तरफ इन पर्वतों के पास में होता है । जो पहले कह गये हैं । (१७२-१७७)
६५०००-७००-४२०००
६२-७००
६५) २६४००(३७६
२८५
६००
८५५
४२ । ७००×४२ = २६४०० |
४५
३०६ - ४५/६५ योजन जम्बूद्वीप की दिशा तरह इन पर्वतों के पास "जलवृद्धि आती है ।
जम्बूद्वीपस्य दिश्येषां गिरीणामन्तिके पुनः । गोतीर्थेन धरौद्वेयः स्यात्समोर्वीव्यपेक्षया ॥१७८॥
1
द्विचत्वारिंशदधिका योजनानां चतुःशती । दशपञ्चनवत्यं शास्त्रै राशिकातु निश्चयः ॥१७६॥
जम्बू द्वीप की दिशा तरफ इन पर्वतों के पास में गोतीर्थ के साथ में पृथ्वी की ऊंचाई समभूमि विभाग के अनुसार चार सौ बयालीस योजन और दस- पंचानवे अंश ४४२- १०/६५ योजन त्रिराशि से आता है । (१७८-१७६)
ननु पञ्च सहस्त्रोन लक्षान्ते यदि लभ्यते । भुवोऽवगाहः साहस्त्रस्तदाऽसौ लभ्यते कियान् ॥ १८० ॥ द्विचत्वारिंशत्सहस्त्रपर्यन्त इति लिख्यते । राशित्रयं कार्यमाद्यान्त्ययोः शून्यापर्वत्तनम् ॥१८१ ॥