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________________ ( xlviii) श्लोक सं० सं० ५६५ क्र० विषय श्लोक | क्र० विषय सं० । सं० ६८० ४-५-६ ग्रवैयेक के त्रिकोण ५४१/६६५ चौथे ग्रैवेयक के देवों के ५८२ आदि तथा सब विमानों की आयुष्य तथा देहमान संख्या ६६६ पाँचवे ग्रैवेयक के देवों के ५८४ ६८१ ७-८-६ ग्रवैयेक के त्रिकोण ५४४] आयुष्य तथा देहमान . आदि तथा सब विमानों की ६९७ छठे ग्रैवेयक के देवों के .. ५८६ संख्या आयुष्य तथा देहमान .' अधोत्रिक के त्रिकोण आदि सब ८ सातवें ग्रैवेयक के देवों के ५८८ पंक्तिगत विमानों की संख्या ५४६. आयुष्य तथा देहमान. . मध्यम-ऊर्ध्व त्रिक के त्रिकोण ५५० आठवें ग्रैवेयक के देवों के ५६० आदि सब पुष्पावकीर्णक आयुष्य तथा देहमान . पंक्तिगत सब विमानों की संख्या १००० नौवे ग्रैवेयक के देवों के . ५६२ ६८४ नव ग्रैवेयक के कुल त्रिकोण ५५३/ . आयुष्य तथा देहमान .. . आदि, पुष्पावकीर्णक, पंक्तिगत . |१००१. आहार तथा श्वासोच्छवास ५६४ सब विमानों की संख्या १००२ गति-अगति ६८५ पृथ्वी पिंड-विमान-उच्चत्व ५५५/१००३ उपपात-च्यवन-विरहकाल ५६७ ८६ शरीर की शोभा के विषय में ५५८/१००४ अवधिज्ञान का विषय-आकार ६०० ६८७ श्री जिनेश्वरों की भाव से पूजा १००५ अनुत्तर विमानों का वर्णन ६०३ करने के विषय में ५६० .(स्थान-नाम की सार्थकता) . ६८८ उसके विषय में तत्वार्थ की ५६०/ १००६ पाँचों विमानों की क्या रीति है ६०५ समानता | १००७ विमानों के नाम ६०७ कौन से देव से कौन से देव ५६४ | १००८ त्रिकोण पंक्तिगत तथा सर्व ६०६ ज्यादा सुखी है विमानों की संख्या वैषयिक सुख की उपेक्षा ५६६/ १००६ ऊर्ध्व लोक के त्रिकोण आदि इन देवों के चतुर्थ व्रत विषय ५७२) सर्व विमानों की संख्या ६११ में प्रश्न | १०१० ऊर्ध्व लोक के पंक्तिगत, प्रथम ग्रैवेयक के देवों के ५७५ पुष्पावकीर्णक तथा सर्व आयुष्य.तथा देहमान विमानों की संख्या ६१३ दूसरे ग्रैवेयक के देवों के ५७८ १०११ पाँच विमानों का प्रमाण ६१६ आयुष्य तथा देहमान १०१२ देवों को काल निर्गमन . ६१६ तीसरे ग्रैवेयक के देवों के ५८०१०१३ पाँचों विमानों के देवों की ६२१ आयुष्य तथा देहमान स्थिति .
SR No.002273
Book TitleLokprakash Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmachandrasuri
PublisherNirgranth Sahitya Prakashan Sangh
Publication Year2003
Total Pages620
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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