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क्र०
सं०
विषय
६४१ प्राणतेन्द्र का वर्णन (इन्द्र का विमान)
६४२ तीन पर्षदा के देवों की स्थिति तथा संख्या
६४३ सामानिक तथा आत्मरक्षक देवों की संख्या
६४४ आयुष्य यान -विमान- शक्ति ६४५ आरण - अच्युत देवलोक का वर्णन (स्थान - शोभा)
६५०
६४६ प्रतर- इन्द्रक विमान का नाम ६४७ प्रतरवार -पंक्तिगत विमान ६४८ १-२ प्रतरों के त्रिकोण आदि . सब विमानों की संख्या ६४६ ३-४ प्रतरों के त्रिकोण आदि
सब विमानों की संख्या
•
चारों प्रतरों के त्रिकोण आदि विमानों - पंक्तिगत विमानों, पुष्पवकीर्णक तथा सब विमानों की संख्या
श्लोक
सं०
प्रतरवार जघन्य स्थिति
(xlvii)
६५४ देहमान आहार
६५५ श्वासोच्छवास
६५६ उपपात च्यवन-विरह काल ६५७ अच्युतेन्द्र का अधिकार (इन्द्र का विमान)
६५८ सीता सति का वर्णन ६५६ रामचन्द्र जी ने सीता को वन में त्याग दिया
४४५ ६६० उस समय पर महाराज का
आगमन
लव कुश का जन्म
पिता-पुत्र का युद्ध
४४७ ६६१
६६२
४५० ६६३
६६४
४५२
६६५
४५५ ६६६
४६२
६५१ आरण देवों की प्रतर वार स्थिति ४६७ .६५२ अच्युत देवों की प्रतरवार स्थिति ४६६ ६५३ अन्य देवलोक के देवों की
४७१
४५७ ६६७
४५६
६६८
४६०
६६६
६७०
४६४
क्र०
सं०
४७२
४७५
४७८
४७६
४८१
६७१
६७२
६७३
६७४
विषय
६७५
६७७
६७८
६७६
दिव्य मांगनी
सूर्य देव का निवेदन
श्लोक सं०
जय भूषण मुनि का दृष्टान्त हरिणैगमेषी देव को इन्द्र ने
आदेश किया
४८४
४८८
४६१
४६४
४६७
५०१
५०६
शील का चमत्कार
दीक्षा ग्रहण
अच्युतेन्द्र का वर्णन
तीन पर्षदा के देवों की स्थिति ५१६
तथा संख्या
शक्ति-स्थिति-विमान
आधिपत्य
यान विमान
५२५
दश प्रकार के वैमानिक देवों ५२६
के नाम
कौन देव अच्युत स्वर्ग से
आगे नहीं जा सकते
६७६ नव ग्रैवेयक का वर्णन
(स्थान - शोभा )
इन्द्रक विमान का नाम
५३४
प्रतरवार, एक पंक्तिगत विमान ५३७
१-२-३ ग्रैवेयक के त्रिकोण ५३६
आदि तथा सब विमानों की
संख्या
५१०
५१५
सामानिक- आत्मरक्षक देवों की ५२१
संख्या
५२३
५२६
५३२