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(४२१) अतएव मृतः प्राणि यमदूतैर्यमान्तिकम् । नीयते क्लृप्तभित्यादि लौकेस्त्त्वानपेक्षिभिः ।।७८७॥
अंब आदि पूर्वोक्त परमा धार्मिक देवता, यमराज के प्रिय पुत्र समान है इसलिए ही तत्व को नही जानने वाले अज्ञ लोक से मरे हुए प्राणी को यमदूत यम के पास ले जाते हैं । ऐसी कल्पना की जाती है । (७८६-७८७) तथाहुः - महिषो वाहनं तस्य, दक्षिणा दिग् रविः पिता ।
दण्डः प्रहरणं तस्य, घूमोर्णा तस्य वल्लभा ॥७८८।। पुरी पुनः संयमिनी, प्रतिहारस्तु वैध्यतः । दासौ चण्डमहाचण्डौ, चित्रगुप्तस्तु लेखकः ॥७८६॥
लोकोक्ति इस तरह से है - 'यमराजा का वाहन पाडा है, दिशा दक्षिण है, पिता सूर्य है, हथियार दंड है, घूमोर्णा नाम की पत्नि है, संयमिनी नाम की नगरी है, वैध्यत: नाम का प्रतिहार है; चंड और महाचंड नामका दास है और चित्रगुप्त यह बही लिखने वाला होता हैं। इत्यादि इत्यादि उसका परिवार वाला होता है। (७८८-७८६)
तृतीयभागाभ्यधिक ल्योपमस्थितिर्यमः । महाराजः सुखं भुंक्ते दिव्यस्त्रीवर्गसंगतः ।।७६०॥
एक तृतीश १ - पल्योपम के आयुष्य वाले यम राजा दिव्य स्त्री वर्ग के साथ में सुख भोगता रहता है । (७६०)
प्रतीच्यामथ सौधर्मावंतसक विमानतः ।
स्वयंज्वलाभंधं सफूर्जद्विमान मुक्तमानवत् ।।७६१॥ — सौधर्मावतंसक विमान से पश्चिम दिशा में पूर्वोक्त प्रमाणवाला देदीप्यमान स्वयं जवल नाम का विमान है । (७६१)
वरुणास्तत्र तरुणप्रतापार्को विराजते । सामानिकादयो येऽसय, येऽप्येषामनुजीविनः ॥७६२॥ स्तनितोदधिनागाख्याः, कुमारास्तत्त्रियोऽपि च । अन्येऽपि तादृशाः सर्वे वरुणाज्ञानुसारिणः ॥७६३॥