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________________ (895) रोहिणी, मदना, चित्रा और सोमा इस तरह से चार नाम वाली हजार-हजार नाम वाली चार अग्रभहिषिया होती है । (७६५) देवी सहस्त्रं प्रत्येकं, विकुर्वितुमपि क्षमाः । पत्नीसहस्त्राश्चत्वारस्तदेवं सोमभूभृतः ॥ ७६६॥ प्रत्येक अग्रमहिषिया एक-एक हजार देवियों की रचना करने में समर्थ है । इस तरह चार हजार सोम राजा की देवियाँ होती हैं (७६६) त्यक्त्वा सुधर्मामन्यत्रार्हत्सक्थ्याशातनाभयात् । सहैताभि: पंचविधान, कामभोगान भुनत्तत्यसौ ॥ ७६७॥ अरिहंत परमात्मा के अस्थि आदि की आशातना के भय से, वे अस्थियाँ जहां रखी जाती है, वह सुधर्मा सभा के बिना अन्य स्थान में सोमराज या देवियों के साथ में पाँच प्रकार के विषय काम भोग भोगते हैं । (७६७) शेषाणं लोकपालानामप्येतैरेव नामभिः | चतस्त्रोऽग्रमहिष्यः स्युरियत्परिच्छदान्वितः ॥ ७६८ ॥ शेष के लोकपाल की भी इतना ही परिवार वाली इसी नाम की चार अग्रमहिषीयां होती हैं । (७६८) सामनिकादयो येऽस्य ये चैषामपि सेवकाः । तथा विद्युत्कुमाराग्निकुंमाराख्याः सयोषितः ॥७६६॥ . मरुतकुमारा सूर्येन्दु ग्रहनक्षत्रतारकाः । सोमाज्ञावर्तिनः सर्वे ये चान्येऽपि तथा विधाः ॥ ७७० ॥ " सोमराजा के सामनिक देवता और उसके सेवक तथा पत्नी सहित विद्युत कुमार और अग्नि देवता, वायु कुमार देव, सूर्य, चन्द्र, ग्रह नक्षत्र और तारा अन्य भी उस प्रकार के देव सोम लोक पाल के आज्ञाधारी होते हैं । (७६६-७७०) • ग्रहाणां दण्डमुसलश्रङ्गाटकादिसंस्थितिः । • गर्जितं ग्रहसंचारे गन्धर्व नगराणि खे ॥७७१ ॥ उल्कापाताभ्रवृक्षा दिग्दाहारजांसि धूम्रिकाः । सुरेन्द्रधनुरर्के न्दू परागपरिवेषकाः ।।७७२ ॥
SR No.002273
Book TitleLokprakash Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmachandrasuri
PublisherNirgranth Sahitya Prakashan Sangh
Publication Year2003
Total Pages620
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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