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________________ (xliii) सं० क्र० विषय श्लोक | क्र० विषय श्लोक सं० | सं० सं० ७७६ माहेन्द्र देव-पुष्पावकीर्णक, ३४ |७६५ यान-विमान त्रिकोण आदि सब विमानों |७६६ शक्ति-आयुष्य-विमान आधिपत्य ६० की संख्या ७६७ भोग के लिये गोलाकार स्थान ६२ विमानों से इनके, आधार, वर्ण, ३८/७६८ उसमें प्रासाद-रत्नपीठिका- ६३ जानना सिंहासन आदि के विषय में ७८१ पृथ्वी पिंड़ तथा विमान की ४० इन्द्र का जिन धर्म में दृढ़ होना ६६ ऊँचाई इन्द्र के मोक्ष गमन के विषय में १०२ दोनों देवलोक के देवों के माहेन्द्र इन्द्र का वर्णन १०३ वर्ण-मुकुट के चिन्ह (उत्पत्ति कैसे) . .७८३ दोनों देवलोक के देवों के ४६ सामाजिक तथा तीन पर्षदा के १०४ सामान्य आयुष्य . आत्म रक्षक देवों की संख्या बारह प्रतरोंकी स्थिति . ४६ |. तथा स्थिति ७८५ सनत्कुमार से माहेन्द्र की .. ५६ इन्द्र की शक्ति तथा सुख के . ११२ स्थिति कितनी अधिक है ? विषय में विमान आधिपत्य -७८६. देवों की ऊँचाई (देहमान), - ५८ यान-विमान ११३ ७८७ देवों के श्वासोच्छवास तथा ६२ ब्रह्मदेव लोक का वर्णन ११४ आहार के विषय में . ७८. किस देव लोक को कितने ६५ (स्थान-आकृति) प्रतर तथा इन्द्रंक विमानों के ११६ आयुष्य वाली देवी उनके भोगने . नाम ७८६ देव-देवियों की काम क्रीड़ा के ६८/८०० प्रतरों में कितने-कितने विमान ११८ ७६० अवधि ज्ञानियों की गति-आगति ७३ /८०८ १, २, ३ प्रतरों में त्रिकोण ११६ के विषय में आदि तथा सर्व विमानों की संख्या ___७६१ उपपात-च्यवन-विरह काल ७६ | ४, ५, ६, प्रतरों में त्रिकोण १२२ __ ७६२ सनत्कुमार इन्द्र का वर्णन ७ आदि तथा सर्व विमानों की संख्या अवतसंक विमान की किस सभा । पूरे ६ प्रतरों में त्रिकोण आदि शय्या में उत्पन्न हुए तथा सब विमानों की संख्या १२५ . ७६३ सामाजिक तथा तीन पर्षदा के ५१/८११ इस देवलोक में, पुष्पावकीर्णक, १२८ देवों की संख्या-आयुष्य त्रिकोण आदि तथा विमानों की ७६४ परिवार तथा आत्म रक्षक देवों ८८ संख्या के विषय में | ८१२ पृथ्वी पिंड़-विमान की ऊँचाई १३० योग्य है । . . विषय में
SR No.002273
Book TitleLokprakash Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmachandrasuri
PublisherNirgranth Sahitya Prakashan Sangh
Publication Year2003
Total Pages620
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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