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सं०
सं०
६०५
क्र० विषय श्लोक | क्र० विषय
श्लोक सं० सं० ७४५ आठ अप्सराओं के नाम ६०१/७६४ दोनों इन्द्रों की युद्ध करने की ६५६ ७४६ आठ अप्सराओं के पूर्व ६०२ तैयारी
भव की सामान्य विवरण |७६५ ईशानेन्द्र की प्रभु भक्ति किस ६५६ ७४७ उन सब (२७०) इन्द्रियाणियों
तरह से . के पूर्व भव की विगत |७६६ ईशानेन्द्र के मोक्ष गमन के ६६४ ७४८ आठ पटरानियों के परिवार की ६०७ विषय में संख्या
७६७ सर्ग समाप्ति ७४६ सेनापतियों के नाम
६०६
। सत्ताईसवां सा . . ७५० लघु पराक्रम देव के पराक्रम ६१२ | का वर्णन
सनत्कुमार माहेन्द्र देवलोक का वर्णन ७५१ प्रमाण से विमानों के नाम १५/७६८. स्थान; संस्थान (अणांक सूत्र से)
|७६६ प्रतर कितने है, उनके नाम क्या है? ७५२ शस्त्र तथा वाहन का वर्णन १६/७७० प्रतर वार विमानों की संख्या १० ७५३ अंधकार की विकुर्वणा किस . १८/७७१ प्रथम प्रतर के विकोण आदि तरह से करनी
| सब विमानों की संख्या ७५४ लोकपाल देवों का वर्णन, चार ६२३/७७२
१७७२ २, ३, ४ प्रतर के त्रिकोण लोक पालों के विमानों के नाम
. आदि सब विमानों की संख्या १३ ७५५ सब लोक पालों की समानता २८७७३ ५,६,७,८ प्रतर के त्रिकोण और उनकी राजधानी
आदि सब विमानों की संख्या १६ ७५६ लोकपाल का आयुष्य
११../७७४ ६, १०, ११, १२ प्रतर के २० ७५७ पटरानियों के नाम
त्रिकोण आदि सब विमानों की ७५८ सौधर्म लोकपाल के साथ ६३५
संख्या समानता
चार प्रतरों में त्रिकोण आदि २४ ७५६ ऐश्वर्य के विषय में
सब विमानों की संख्या
६३८ ७६० ईशानेन्द्र का कितना अधिपत्य ६४०
७७६ पुष्पावर्कीणक पंक्तिगत त्रिकोण २६
आदि सब विमानों की संख्या ७६१ ईशानेन्द्र का क्या महत्व है? ६४७
सनत्कुमार के त्रिकोण आदि ३० सौधर्म-ईशान-इन्द्र परस्पर ६४८
समस्तर विमानों की संख्या . किस तरह वार्तालाप करते है
|७७८ सनत्कुमार-पुष्पावकीर्णक, ३२ ७६३ दोनों इन्द्रो के बीच में विवाद १५१
त्रिकोण आदि सर्व विमानों .. होने के विषय में
की संख्या
१२
६३४
है?
७६२