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क्र० . विषय
श्लोक | क्र० विषय श्लोक सं० | सं०
सं० ६२७ देवों को शाता-अशाता का ५८८६४५ वर्तमान शक्रेन्द्र का पूर्व वृतान्त ६३२ उदय
(कल्प वृत्ति से) ६२८ जूने(पुरातन) व नये देवों ५८६/६४६ वर्तमान शक्रेन्द्र का पूर्व वृतान्त ६३६ की तेजस्विता
(भगवती सूत्र से) ६२६ देवों को शोक कैसे होता है, ५६२/६४७ इन्द्र महाराज की तीन पर्षदा ६४६ इस विषय में भगवती सूत्र का
के विषय में प्रथम पर्षदा के अभिप्राय ।
देव-देवी कितने ६३० देव मरण की रीति ५६५६४८ दूसरी-तीसरी पर्षदा के देव- ६४७ .६३१ - आगामी जन्म के दुख: से शोक ५६७/. देवी कितने
६३२ देवों की निद्रा के विषय में . ६००/६४६ तीन पर्षदा के देव-देवियों की ६५० ६३३ मिथ्या दृष्टि देवों को भोग .
स्थिति .. विलास में निमग्नता ६०४ ६५० इस पर्षदा में दूसरे कौन देव- ६५३ ६३४ मिथ्या दृष्टि देवों का दुर्गति में
देवी होते हैं जाना
|६५१ सामानिक देवों की संख्या तथा ६५५ ६३५ सम्यक्दर्शी देव अरिहंत की ६००
कार्य - उपासना करता है
त्रांयस्त्रिशंक देवों की संख्या ६५८ ६३६ सम्यकदृष्टि देव की सद्गति
तथा कार्य ६३७ देवं अधर्म में स्थित है, इस
त्रांयस्त्रिशंक के दूसरे नाम के ६६० ' विषय में शंका
विषय में उत्तराध्ययन के प्रमाण ६३८ भगवती सूत्र के आधार पर |६५४ सामानिक-त्रांयस्त्रिशंक देवों के ६६२ समाधान
पूर्वभव ६३६ . एक साथ कितने देवों का |६५५ त्रयस्त्रिशंक नाम किसलिये ६६६
च्यवन हुआ, तथा उत्पन्न हुए ६१६ | |६५६ आत्मरक्षक देवों की कितनी ६६८ सौधर्म-ईशान के देवों के
संख्या व उनका क्या काम उपपात-च्यवन काल कितना ६२०/६५७ सात सेनाओं में से पाँच ६४१ सौधर्म-ईशान के इन्द्र का . ६२४ सानिध्य सेना के विषय में स्वरूप
६५८ शेष की दो सेनाओं के विषय में ६७७ ६४२ पाँच अवतसक विमानों के नाम ६२४/६५६ सात सेनापतियों के नाम ६८१ ६४३ इन विमानों का प्रमाण ६२७/६६० हरिनैगमेषी देव की शक्ति ६८४ ६४४ विमानों के चारों तरफ क्या- ६२६/६६१ गर्म हरण की चर्तुभंगी ६८७ - क्या है
६६२ मुर्छा देने के विषय में
६४०
६७२
६८