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क्र० विषय
श्लोक | क्र० विषय श्लोक सं० . सं० सं०
सं० ३६६ शंका का समाधान
३७,४१६ तीन पर्षदा के देवों का आयुष्य १२१ ३६७ सूर्य-चन्द्र के विमानों का प्रमाण ४०/४१७ तीन पर्षदा की देवियों का १२४ ३६८ उत्सेधागुंल प्रमाण से चन्द्र, ४३/ आयुष्य
सूर्य के विमानों का प्रमाण ४१८ तीन सभाओं के नाम १२६ ३९६ ग्रह-नक्षत्रों का प्रमाणगुंल से ४७/४१६ तीन पर्षदा की विशेषता के १२७ विस्तार
विषय में शंका तथा समाधान तारों का प्रमाणागूल से विस्तार ४|४२० दूसरी रीति से तीन सभाओं का १३१ ४०१ नरक्षेत्र के बाहर के विमानों का ५२] - वर्णन प्रमाण
४२१ सूर्य-चन्द्र-इन्द्र के च्यवन काल १३५ ४०२ ज्योतिषि विमानों के अभियोगिक ५३ / . के पश्चात् विशेषता देवों के विषय में ' |४२२ पाँचों ज्योतिषि देवों की विशेषता१३८
१४० ४०३ चन्द्र के विमानों को वहन करते ६१/४२३ ज्योतिषियों के चिह्न पूर्व दिशा के देव कैसे और
४२४ चिह्नों के विषय में मतान्तर १४३ कितने है
__|४२५ ज्योतिषि देवों के वर्ण १४४ ४०४ दक्षिण दिशा के देखें के विषय में ६६
४२६ ज्योतिषि देवों की ऋद्धि के ४०५ पश्चिम दिशा के देवों के विषय में७२
विषय में
१४५ ४०६ उत्तर दिशा के देवों के विषय में ७७
| ४२७ चन्द्र की रानियों के नाम, १४७ ४०७ चन्द्र-सूर्य के विमानों को कितने ८६
पूर्वभव तथा आयुष्य
|४२८ चन्द्रमा की देवियाँ कितनी है १५३ देव वहन.करते है ४०८ ग्रह-नक्षत्रं-तारों के विमानों को ८८
४२६ विकुर्वणा के विषय में मतान्तर १५६ कितने देव वहन करते है .
| ४३० सूर्य की पटरानियों के नाम १५६
|४३१ सूर्य-चन्द्र का दिव्य भोग १६० ४०६ ज्योतिषि विमानों की गति ६१
विलास ४१० जम्बूद्वीप से ताराओं का अन्तर ६६ ..कितने प्रकार का है -
४३२ जिनेश्वर देव की अस्थि तथा १६३
माणवक स्थल के विषय में १६३ ४११ निर्व्याघात अन्तर
६६
| ४३३ ग्रह-नक्षत्र आदि की अग्र १६६ ४१२ जघन्य व्याघात अन्तर कितनी १००
महिषियों के नाम व कैसी रीति से?
|४३४ चन्द्र-सूर्य देवों की स्थिति १६८ ४१३ उत्कृष्ट व्याघात अन्तर कितनी १०५.४३५ चन्द्र-सूर्य के विमानों की १७४ ___. व कैसी रीति से?
देवियों की स्थिति ४१४ तारों के विमानों का वर्णन ११२४३६ ग्रहों के विमानों के देव तथा १७७ ४१५ चन्द्र-सूर्य के देवों का परिवार ११८
देवियों की स्थिति