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विजया वेजयन्ती च, जयन्ती चापराजिता । भवन्त्यमीषां सर्वेषामप्येतैरेव नामभिः ॥१६७॥
इसी तरह से ग्रह नक्षत्र और ताराओं के भी चार-चार अग्रमहिषियां होती हैं। उनके नाम इस प्रकार से हैं- १- विजया, २- वैजयन्ती, ३- जयंती और ४अपराजित। यही नाम की इन सर्व की अग्रमहिषियां होती है । (१६६-१६७)
अथःचन्द्रविमानेऽस्मिन्, जघन्यानाकिनां स्थितिः। पल्योपमस्य तुर्यांश, उत्कृष्टाऽथ निरूप्यते ॥१६८॥ एक पल्योपमं वर्ष लक्षेणैकेन साधिकम् । जघन्याऽर्क विमानेऽपि,स्थितिश्चन्द्रविमानवत् ॥१६६॥ उत्कृष्टाब्द सहस्रेणाधिकं पंल्योपमं भवेत् । यद्यपि स्थितिरकेंन्द्वोः कनीयसौ न सम्भवेत् ॥१७०॥ .
इन चन्द्र के विमानों में रहे देवताओं की जघन्य स्थिति एक चतुर्थांश १/४ पल्योपमं होती है, और उत्कृष्ट स्थिति एक लाख वर्ष अधिक एक पल्योपम होती है । सूर्य विमान में भी जघन्य स्थिति चन्द्र विमान के समान होती है । और उत्कृष्ट स्थिति एक हजार वर्ष अधिक एक पल्योपम की होती है । यद्यपि सूर्य अथवा चन्द्र के स्वयं को जघन्य स्थिति नहीं होती है । (१६८-१७०)
तथाप्येषु विमानेषु, त्रिविधाः सन्ति नाकिनः । . विमान नायकाश्चन्द्रादयस्तत्सद्दशाः परे ॥१७१ ॥ परिवार सुराश्चान्ये, स्युरात्मरक्षकादयः । तत्राधीश्वरतत्तुल्यापेक्षया परमा स्थिति ॥१७२॥ जघन्यात्मरक्षकादिपरिच्छदव्यपेक्षया । एवं ग्रह विमानादिष्वपि भाव्यं स्थिति द्वयम् ॥१७३॥
फिर भी इन विमानों में तीन प्रकार के देवता होते हैं । १- विमान के अधिपति चन्द्र आदि २- उनके सामानिक देवता और आत्मरक्षक आदि दिवता होते हैं । वहां नायक तथा उनके सामानिक देवता की अपेक्षा से परम स्थिति होती है और आत्मरक्षकादि परिवार की अपेक्षा से जघन्य स्थिति होती है अर्थात् उत्कृष्ट