________________
(xxx.)
सं०
सं०
११७'
क्र० . विषय
श्लोक | क्र० विषय . श्लोक
सं० । सं० २७६ चन्द्र-सूर्य के बीच का अन्तर ४० | २६७ घृतवर द्वीप तथा उसके देव १०६ . २७७ हर एक पंक्ति में चन्द्र-सूर्य ४४ २६८ द्वीप का विस्तार १११ की वृद्धि
। | २६६ घृतोद, समुद्र का पानी तथा . ११२ २७८ दो पंक्तियों के अन्तर की परिधि ४६
उसके देव .. २७६ दूसरी पंक्ति की परिधि किस ५० ३०० समुद्र का विस्तार . ११४ तरह से
३०१ क्षोदवर द्वीप के देव. ११५ २८० तीसरी पंक्ति की परिधि ५४ | ३०२ द्वीप का विस्तार २८१ अगली पंक्तियों में चन्द्र-सूर्य . ५७
३०३ क्षोदोद समुद्र के पानी के ११८ . की वृद्धि
विषय में २८२ इस अर्थ का प्रतिपादन करने ६०३०४ समद्र का विष्कंभ वाली पूर्व आचार्यों की गाथायें
| ३०५ नंदीश्वर द्वीप का वर्णन १२५. २८३ दूसर मत प्रमाण स चन्द्र-सूय ६५/३०६ द्वीप के देव. ..
की संख्या २८४ प्रत्येक पंक्ति में कितने चन्द्र- ६८
| ३०७ द्वीप का विष्कंभ,
३०८ मध्य में चार अंजनगिरी, .. १३१ सूर्य की वृद्धि
. उनके नाम २८५ चन्द्र-सूर्य का अन्तर २८६ उनका अंको द्वारा मान ७४
| ३०६ : अंजन गिरि का स्वरूप १३४ .. २८७ योग शास्त्र तथा परिशिष्ट पर्व ८०
| ३१० . इस पर्वत का पृथ्वी के अन्दर १३५ के आधार पर मतान्तर
. तथा ऊपर विस्तार २८८ पुष्करोद समुद्र के पानी के ८२
३११ ठाणांग सूत्र आदि के आधार १३८ . विषय में
पर विष्कंभ का मतान्तर २८६ समुद्र के देवताओं के नाम ८३ ३१२ दश हजार योजन विष्कंभं के १३६ २६० समुद्र का विस्तार
मत में प्रत्येक योजन में क्षय-वृद्धि २६१ वारूणीवर द्वीप तथा उसके देव ८६/३१३ नौ हजार चार सौ योजन १४७ के सम्बंध में
विष्कंभ के मत में प्रत्येक २६२ समुद्र के देव तथा विस्तार ६१ योजन में क्षय-वृद्धि . .. २६३ क्षीरोद समुद्र के पानी के ६६ | ३१४ पर्वतों की भूमि तथा शिखर १५२ विषय में
की परिधि २६४ समुद्र के देव
१०० | ३१५ पर्वतों के चारों तरफ बावड़ियों १५४ २६५ समुद्र की घवलता व शोभा १०१
का प्रमाण २६६ समुद्र का विस्तार १०८ | ३१६ बावड़ियों की गहराई में मतान्तर १५५