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क०
श्लोक
[सं०
क्र० विषय
श्लोक | क्र. विषय सं० | सं०
सं० २४१ शाश्वत चैत्यों के छः स्थान २६२/२६० वैमानिक तथा अढ़ाई द्वीप के ३०६ २४२. तीन तथा चार सम्बंधी प्रतिमायें २६६] बाहर के जिनालयों का प्रमाण २४३ चार द्वार वाले चैत्य कहाँ-. २६७/२६१ कुरू क्षेत्र मेरू आदि पर्वतों ३११ कहाँ है
तथा असुर कुमारों का प्रमाण २४४ व्यन्तर-भवनपति-ज्योतिष २६६/२६२ नाग कुमार तथा व्यन्तरों के ३१४ _ चैत्यों की प्रतिमा कितनी है ?
चैत्यों का प्रमाण २४५ वैमानिक देवों के चैत्य की २७३ २६३ चूलिकाओं, यमक आदि पर्वत, ३१७ प्रतिमायें
सरोवर, कूट, वृक्ष, कुंड़ चैत्यादि २४६ बाकी के पर्वतों के चैत्यों की २७४ प्रमाण प्रतिमायें . . . २६४ सर्ग समाप्ति
३२१ २४७ दिग्गजो कूटों-कुरूक्षेत्रों की २७७ चौबीसवां सर्ग प्रतिमाये
२६५ अढाई द्वीप के बाहर स्थित २ . २४८ मेरू पर्वत के चैत्यों की प्रतिमायें२७४ | ज्योतिषि २४६ जम्बू आदि वृक्ष के चैत्यों की २७६/२६६ सूर्यचन्द्र किन नक्षत्रों से युक्त है ३ प्रतिमायें
२६७ सूर्य-चन्द्र का दो प्रकार का अन्तर ६ : २५० कुंडों के चैत्य तथा जिन बिम्ब २८३/२६८ सर्य-चन्द्र के प्रकाश क्षेत्र १०
२५१ सरोवरों के चैत्यों की प्रतिमायें २८८/२६६ प्रकाश क्षेत्रों की लम्बाई-चौड़ाई १२ . २५२ मनुष्य क्षेत्र के सब चैत्यों तथा २८६/२७०
पुष्कर द्वीप में कितने सूर्य-चन्द्र है १४ जिन बिम्बों की संख्या
|२७१ कालोदधि से आगे सूर्य-चन्द्र १६ -२५३ अढ़ाई द्वीप के बाहर चैत्यों २६१]
की संख्या जानने का करण । तथा जिन बिम्बों के विषय में २७२ पुष्कर द्वीप के नक्षत्र-ग्रह आदि । २५४ तिरछा लोक के चैत्यों की संख्या२६३] की संख्या
२३ २५५ तिरछा लोक के जिन बिम्बों २६४ २७३ ज्योतिष करड़क की रीति सूर्य, २५ - की संख्या
चन्द्र आदि संख्या जानने का करण २५६ अधोलोक के चैत्यों-जिन २६६/२७४ चन्द्र प्रज्ञप्ति आदि से सूर्य-चन्द्र २६ बिम्बों की संख्या
का अन्तर २५७ ऊर्ध्व लोक के चैत्यों, जिन २६६/ मनुष्य क्षेत्र के बाहर चन्द्र-सूर्य की बिम्बों की संख्या
पंक्तियों में मतान्तर २५८ तीन लोक के चैत्यों-बिम्बों ३०३/२७५ दिग्म्बरों के कर्म प्रकृति ग्रन्थ ३६ की संख्या
अनुसार गोलाकार क्षेत्र की २५६ सर्व प्रतिमाओं का प्रमाण ३०६/ चौड़ाई, परिधि