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________________ ( xxviii) क्र० विषय श्लोक | क्र० विषय श्लोक | सं० सं० सं० - सं० । २०४ विजय वक्षस्कार तथा नदियों १३६/२२३ मनुष्य क्षेत्र का वर्णन मनुष्यों २०५ का विस्तार | के १०१ स्थान २०५ विदेह के वन मुखें का विस्तार १४२ / २२४ पर्वत कितने? कहाँ-कहा? २०६ २०६ मेरू सहित भद्रशाल वनों का १४६ | २२५ कूटों की सर्व संख्या तथा १० . २१२ विस्तार महावृक्ष २०७ पुष्करार्द्ध का विस्तार आठ लाख १४८ २२६ सरोवर तथा कुंड कितने है . २१६ किस तरह हुआ | २२७ नदियाँ कितनी है? मतान्तर . २२२ २०८ इष्ट क्षेत्र आदि का विस्तार १५२/ सहित जानने के विषय में | २२८ जघन्य-उत्कृष्ट तीथकर आदि . २२६ २०६ गजदंत पर्वतों की लम्बाई ___ १५५ कितने इस विषय में २१० गजदंत पर्वतों की चौड़ाई १६० | २२६ बीस बिहरमान जिनों के विषय २३५ . २११ कुरू क्षेत्र का विस्तार १६१ / . में मतान्तर २१२ कुरू क्षेत्र की जीवा | २३० केवली तथा साधु भगवंतों की २३८ २१३ कुरू क्षेत्र का घनु पृष्ठ १६५ १६५ संख्या २१४ यमक पर्वत तथा पाँच सरोवरों १६७/२३१ बीस विहरमान जिनों के नाम २३२ । का मान |२३२ चकवर्ती, वासुदेव, बलदेवों २४० २१५ कुरू क्षेत्र के महा वृक्षों का १७४ की संख्या तथा अधिष्ठित दैवों का नाम २३३ इस विषय में कितने ही २४१ २१६ भद्रशाल वन की लम्बाई १७८ आगमों का मत २१७ पुष्करार्द्ध में विचरते विरहमानों १८४ | २३४ रनों-निधियों के विषय में २४२ तथा विजयों के नाम कितना योग्य है २१८ पुष्करार्द्ध के सूर्य-चन्द्र-ग्रह १८७/२३५ चक्रवर्तियों के जीवता योग्य २४६ आदि की संख्या भूमि २१६ मनुष्य क्षेत्र के ४५ लाख किस १६०/२३६ मनुष्य क्षेत्र में देव-विद्याघर २४७ की श्रेणियाँ २२० मनुष्य क्षेत्र की बाहर मनुष्यों १६३ | २३७ चन्द्र सूर्य की श्रेणि . २४६ का जन्म-मरण के विषय में २३८ ग्रह नक्षत्रों की पक्तियाँ २५३ २२१ मनुष्य क्षेत्र के बाहर क्या-क्या |२३६ तारों की संख्या २५७ नहीं है १६८ | शाश्वत-चैत्य, प्रतिमाओं का वर्णन २२२ अढ़ाई द्वीप के बाहर मनुष्यों २०१ | २४० पाँच मेरू पर्वत के चैत्य २५६ का मरण का संभव तरह से
SR No.002273
Book TitleLokprakash Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmachandrasuri
PublisherNirgranth Sahitya Prakashan Sangh
Publication Year2003
Total Pages620
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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