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विशाल वज्रमय कुंभस्थल से बहुत शोभायमान इच्छानुसार कुंडलाकार से मरोडी हुई ऊंची सूंढ से मंडित, सुवर्ण विभूषित कर्ण के प्रांत विभाग से सुशोभित, कांचन-स्वर्ण से सजाया हुआ दंत शूल के अंत विभाग से शोभायमान, अति सिंदूर से जिसका कपाल विभाग रंगा गया है ऐसे चलायमान चमर से शोभा वाले सुवर्ण की धुंघरु युक्त मणिमय कंठ-भूषण से शोभायमान, चान्दी की रस्सी में लटकते घंटा युगल के ध्वनि से सुन्दर दिखते, वैडूर्यमय दंड ऊपर स्थापित हुए अत्यंत तेजस्वी वज्र रत्नमय अंकुश धारण करने वाले, बारम्बार चलती फिरती पूछडी से शोभते, पुष्ट, महा-उन्नत कछुए के समान पैर वाले, लालित्य पूर्ण गति वाले चमचमाना पराक्रम से सहित चार हजार की संख्या में गजस्वरूपी देवता मेघ के समान गर्जना करते दक्षिण दिशा में रहकर चन्द्र के विमान को वहन करते हैं । (६६-७१)
प्रतीच्यां सुभगाः श्वेता, दृप्यत्ककुदसुन्दराः । अयोधनधनस्थूलतनवः पूर्णलक्षणाः ॥७२॥ अत्यन्तकमनीयौष्ठाः, कम्रेषन्नम्रिताननाः । । सुस्रिम्धलोमद्युतयः पीनवृत्यकटीतटाः ॥७३॥ सुपाश्र्वा मासंलस्कन्धाः, प्रलम्ब पुच्छ पेशलाः।। तुल्यातितीक्ष्णशृङ्गग्रा, नानागति विशारदाः ॥७॥ तपनीयोद्धृतजिह्वातालवो वज्रजित्खुराः । स्फाटिक स्फार दशना, गम्भीरोजितगर्जिताः ॥७५॥ .. सौ वर्ण भूषणा रत्नकिङ्किणीमालभारिणः । . चतुः सहस्त्र सङ्ख्यास्तान्युद्वहन्ति वृषामरा ॥७६॥ पंचभिः कुलकं ।।
पश्चिम दिशा में वृषभ रूपी देवता चन्द्र के विमान को वहन करते है जो सुभग है, मजबूत स्कंध से सुन्दर है तथा लोहे के घन समान स्थूल शरीर वाले हैं, पूर्ण लक्षण युक्त है, अत्यन्त सुन्दर होठ धारण किये है । कमनीय और कुछ नमा हुआ मुख वाला है, उसकी रोमराजी अत्यन्त स्निग्ध और तेजस्वी है उसकी कमर पुष्ट और गोलाकृति है उसकी कटी प्रदेश देखने योग्य है उसका स्कंध मास युक्त है, लम्बे पूच्छ से दर्शनीय है, उसके सींग के अग्रभाग एक समान और अति तीक्ष्ण