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' (२२७) . पचास योजन अवगाढ है और परिधि इक्तीस हजार छ: सौ तेईस (३१६२३) योजन है । (२६२-२६३)
तेभ्यो लक्षं योजनानामतिक्रम्य चतुर्दिशम् ।
जम्बूद्वीपसमा राजधान्यः प्रत्येकमीरिताः ॥२६४॥
इस पर्वत के चारों दिशा में एक लाख योजन जाने के बाद चार राजधानियां हैं जो कि प्रत्येक राजधानी जम्बू द्वीप के समान है । (२६४)
तत्र दक्षिण पूर्वस्यां, स्थिताद्रतिकरा चलात् । प्राच्यां पद्मानामदेव्या, प्रज्ञप्ता सुमनाः पुरी ॥२६५॥ शिवा देव्या दक्षिणस्यां, पुरी सौमनसामिधा ।
अर्चिमाली प्रतीच्यां स्याच्छचीदेव्या महापुरी ॥२६६॥ उसमें अग्नि कोने में रहे रतिकर पर्वत से पूर्व दिशा में पद्मानाम की देवी की सुमना नाम की नगरी कहीं है । दक्षिण दिशा में शिवा नाम की देवी की सौमनसा नाम की नगरी कही है। पश्चिम दिशा में शची नाम की देवी की अर्चिमाली नाम की नगरी कही है। (२६५-२६६)
उत्तरस्यां मज्जु नाम्या, राजधानी मनोरमा । दक्षिण पश्चिमायां च स्थिताद्रतिकरादय ॥२६७॥ पूर्वस्याममलादेव्या, भूत नाम महापुरी । . भूतवतंसका याम्यामप्सरोऽभिधर्तृका ॥२६८॥ प्रतीच्या नवमिकाया, गोस्तूपाख्या महापुरी । स्यादुत्तरस्यां रोहिण्या, राजधानी सुर्दशना ॥२६६॥
उत्तर दिशा में मंजू नाम की देवी की मनोरम नाम की नगरी है। दक्षिण और पश्चिम दिशा के बीच नैऋत्य कोन में रहा रतिकर पर्वत से पूर्व दिशा में, अमला देवी की भूत नाम की नगरी है, दक्षिण दिशा में अप्सरा नाम की देवी की भूतावतंसका नाम की नगरी है, पश्चिम दिशा में नवभिकायां नाम की देवी की गोस्तूप नाम की महानगरी है, और उत्तर दिशा में रोहिणी नाम की देवी की सुर्दशना नाम की नगरी है । (२६७-२६६)