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________________ .( xxvi) क्र० विषय श्लोक क्र० विषय श्लोक सं० सं० सं० सं० १२४ कुरूक्षेत्र का विस्तार १८८/१४४ घातकी खंड में क्या-क्या है ? २५३ १२५ यमक गिरी-पाँच सरोवर तथा १६० १४५ घातकी खंड़ के कूटों के २५८ . कंचन गिरि के विषय में विषय में १२६. कंचन गिरि का परस्पर अन्तर १६५/१४६ वृषभ कूट-भूकूट के विषय में २६५ १२७ पर्वतों का आंतरा १६६/१४७ सरोवर-नदियाँ और कुंड २६८ १२८ घातकी शल्मली वृक्षों तथा २०२ | कितने है . .. . उनके देवों के विषय में. |१४८ जघन्य-उत्कृष्ट से तीर्थंकर- २७७ १२६ घातकी खंड़ के मेरू पर्वत २०६ चक्रवर्ती कितने है . . का वर्णन निधान के विषय में : २७८ १३० पृथ्वी से ऊंचाई तथा गहराई २०६/१५० सूर्य, चन्द्र, नक्षत्र आदि की . २८० १३१ भूमि के अन्दर तथा ऊपर . संख्या विस्तार १५१ कालोदधि समुद्र का वर्णन २८३ १३२ ऊपर से नीचे उतरते इच्छित २११/१५२ समुद्र के अधिष्ठायक देव तथा २८३ स्थान जानने की रीति उसके पानी के विषय में १३३ नीचे से ऊपर जाते इच्छित २१४|१५३ विस्तार और गहराई २८४ स्थान के विस्तार जानने की रीति |१५४ समुद्र में क्या-क्या नहीं है । २८५ १३४ उसमें भद्रशाल बन कैसे है २२०/१५५ बाह्य.परिधि . २८६ १३५ भद्रशाल वन की लम्बाई-चौड़ाई२२१ /१५६ चारों द्वारों का परस्पर अन्तर २८७ १३६ नंदन वन का स्थान-मान २२७ /१५७ ग्रह-नक्षत्र आदि की संख्या २६१ १३७ नंदन बन के पास मेरू पर्वत २२/१५८ सर्ग समाप्ति . २६३ बाहरी विस्तार तेईसवां सर्ग १३८ सौमनस बन का स्थान-मान २३२/१५६ पुष्कर द्वीप का वर्णन २ १३६ सौमनस बन के पास में मेरू २३४ १६० नाम की सार्थकता और विस्तार २ पर्वत का बाह्य विष्कंभ १६१ मानुषोत्तर पर्वत का वर्णन ४ १४० पांडक वन का स्थान -मान २३८/१६२ पर्वत की ऊंचाई शिखर ऊपर चूलिका के विषय २४२ | १६३ पृथ्वी के अन्दर तथा ऊपर तीन ६ विस्तार , १४२ विचरते जिनेश्वरों के नाम तथा २४६ /१६४ आकार कैसा है उनकी विजयों के नाम |१६५ पर्वत का मूल-मध्य-अन्त्य १३ १४३ घातकी खंड़ के दो मेरू पर्वत २४६ विस्तार-ऊँचाई . का रूपक | १६६ पर्वत पर कहाँ, कौन रहता है १६
SR No.002273
Book TitleLokprakash Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmachandrasuri
PublisherNirgranth Sahitya Prakashan Sangh
Publication Year2003
Total Pages620
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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