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क्र० विषय श्लोक | क्र० विषय श्लोक | सं० सं० | सं०
सं० ४१ बेलन्धर पर्वत के इच्छित स्थान १४७/६० लवर्ण समुद्र में क्या-क्या है ? २४०
पर विष्कंभ जानने की रीति ६१ सूर्य-चन्द्र के संचरण क्षेत्र २४३ ४२ विष्कंभ का दृष्टान्त १५१/ ६२ समुद्र के शिला से ज्योतिष्क २५६ ४३ पर्वतों की परिधि
१५७ के विमानों के व्याघात और ४४ पर्वतों का मूल भाग से परस्पर १६० शंका समाधान
अन्तर और उसकी घटना ६३ लवण समुद्र में कितने सूर्य- २६१ ४५ अन्तरा पास में पानी की वृद्धि १६६ चन्द्र नक्षत्र है .. ४६ वृद्धि जानने की रीति १७२ | ६४ एक चन्द्रमा का परिवार : २६६ ४७ पर्वत के पास पृथ्वी की गहराई १७८ ६५ लवण कालोदधि-स्वयंभूरमण २६८ ४८ पानी से पर्वत की ऊँचाई के १८४] . समुद्र के मत्स्यों का देहमान विषय में
६६ मत्स्यों की कुल कोटि ४६ गौतम द्वीप का वर्णन समुद्र में १६५/ ६७ लवण समुद्र का रूपक स्थान तथा मान
६८ सर्म समाप्ति द्वीप के अन्त भाग में पानी की १६६ . बाईसवां सर्ग .. वृद्धि कितनी?
६६ घातकी खंड द्वीप वर्णन ५१ जम्बूद्वीप की तरफ के द्वीप का २०७
७० घातकी नाम कैसे . २ वर्णन
७१. द्वीप का विष्कंभ ५२ मध्य भाग के भवनों का वर्णन
७२ द्वीप की आद्य-मध्य-चरम परिधि ४ ५३ भवन में स्थित मणिपीठिका के २१४
७३ द्वीप के चार द्वारों के परस्पर अन्तर १० विषय में
७४. बीच में ईषुकार पर्वत उसका मान ११ ५४ सुस्थित देवों का परिवार
क्षेत्र व्यवस्था ५५ जम्बू द्वीप तरफ के चार सूर्य ।
७६ वर्षधर पर्वत की लम्बाई- २३ द्वीपों का वर्णन
चौड़ाई-ऊंचाई ५६ जम्बूद्वीप तरफ के चार चन्द्र
| ७७ सब पर्वतों के रोके गये क्षेत्र ३२ द्वीपों का वर्णन
चौदह क्षेत्रों का मुख्य विस्तार ३४ घातको खंड तरफ के चार
किस तरह सूर्य द्वीपों का वर्णन
७६ क्षेत्रों के अंश ५८ घातकी खंड़ तरफ के चार
८० क्षेत्रों के मध्य-अन्त्य विस्तार चन्द्र द्वीपों का वर्णन २३०
| ८१ पर्वतों के अंश ५६ सूर्य-चन्द्र के प्रासाद-आयुष्य २३५] ८२ आरों के आन्तरा रूप में क्षेत्र ५२ आदि
८३ एक योजन के कितने अंश ५६
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