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अनुक्रमणिका
श्लोक
सं०
सं०
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क्र० विषय
श्लोक क्र० विषय .
सं० सं० इक्कीसवां सर्ग २३ कलशों के तीन विभाग, १ लवण समुद्र का वर्णन १-३ महाकलशें में परस्पर अन्तर २ विस्तार . .
३ २४ लघु पाताल कलशों का स्थान ७४ ३ परिधि का प्रमाण
२५ उन लघु पाताल कलशों में ७७ ४ मध्य परिधि किस तरह होती हैं ७ क्या है?
गौर्तीथ कौन कहलाता है २६ लघु पाताल कलशों की श्रेणी, ८३ ६ गौर्तीथ का प्रमाण. . . १० उनका क्षेत्र ७ गहराई के विषय में १३, २७ महापाताल कलशों से शेष बचे ६० ८ गौर्तीथ की मध्य में गहराई १७ लघु कलशें की संख्या ६ पानी की गहराई जानने का २० २८ लघु पाताल कलशों का प्रमाण- ६३ तरीका ..
तीन विभाग आदि १० समुद्र के मध्य में पानी की
२६/ २६ भरती-ओर किस रीति से होती १०२ • कुल गहराई ... ११ पानी की जघन्य-मध्यम-- . ३३ | ३० शिखाओं का वर्णन १०७ . उत्कृष्ट गहराई
| ३१ लवण समुद्र का रूपक ११० । १२. कोटी का स्वरूप
३६ / ३२ बेलन्धर देव तथा पर्वतों का ११६ .१३ समुद्र का प्रतरात्मक गणित
वर्णन १४ समुद्र का घन गणित ४२ | ३३ कौन से द्वीप तरफ की बेला ११६ १५ घन गणित विषय में शंका
में कौन से देव है समाधान . . .
३४ बेला अटकवानु कारण १२२ १६ समुद्र के चार द्वार ५२ ३५ पूर्व आदि चारों दिशाओं के १२४ १७ चार द्वारों का परस्पर अन्तर ५८ बेलन्धर देवों के यर्थाथ नाम १८ पाताल कलशों का स्वरूप ६० ३६ उन चारों पर्वत पर कितने देव है१३२ १६ उनकी स्थापना
६१ / ३७ चारों देवों के वैभव का वर्णन १३३ २० चार महाकलशों के नाम ६३/ ३८ चार अनुबेलन्धर पर्वतों तथा १३७ २५ अधिष्ठायक देवों का आयुष्य ६४ देवों के नाम तथा नाम
३६ आठों पर्वत किस तरह बने १४२ २२ महाकलशों का प्रमाण ६५ ४० आठों पर्वतों का प्रमाण १४३